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केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा मंजूर, मोदी ने दी सफाई

केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर का इस्तीफा मंजूर, मोदी ने दी सफाई
  • संवाददाता || भारत खबर

नई दिल्ली। किसान विधायकों के विरोध में इस्तीफा देने वाली अकाली दल के सांसद हरसिमरत कौर का इस्तीफा राष्ट्रपति ने मंजूर कर लिया है। आपको बता दें कि संसद सत्र के दौरान हरसिमरत कौर ने किसान पर लाए गए 3 विधायकों के विरोध में अपना इस्तीफा दे दिया था हालांकि इसके बाद उनकी पार्टी यानी शिरोमणि अकाली दल ने यह स्पष्ट नहीं किया था कि वह भाजपा के साथ रहेगी या नहीं लेकिन आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। 

फूड प्रोसेसिंग इंडस्टरीज मिनिस्टर के तौर पर अब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जिम्मेदारी भी संभालेंगे। आपको बता दें कि खेती से जुड़े हुए 3 विधायकों के खिलाफ पंजाब में किसानों का गुस्सा चरम सीमा पर है जिसको देखते हुए हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दिया है और उनका साफ तौर पर कहना है कि वह अपने क्षेत्र के किसानों के साथ खड़ी है।

किसान संबंधी इन विधेयकों के खिलाफ थीं केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर

  • एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल
  • फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज बिल
  • फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल

आपको बता दें कि 5 जून को ऑर्डिनेंस के दौरान यह विधेयक लागू किए गए थे जिसके बाद से इस पर हंगामा मचा हुआ है। केंद्र सरकार से कृषि की दिशा में सर्वोत्तम सुधार बता रही है जबकि विपक्षी पार्टियां किसानों के विरोध में इस बिल को बताकर शुरू से ही हंगामा करती आ रही है और इसी का नतीजा था कि शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर ने गुरुवार को संसद भवन में ही इस्तीफा दे दिया और अब उनके सीमा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूर भी कर लिया है तो देखना दिलचस्प होगा कि आगे की राजनीतिक गतिविधि क्या होगी।

इन बिंदुओं पर असहमति

  • आपको बता दें कि संबंधों में कौन-कौन से पॉइंट है जिनको लेकर असहमति बन रही है। उनमें सबसे पहला है न्यूनतम समर्थन मूल्य नियम एसपी का बने रहना इस पर तर्क है कि जब कारपोरेट कंपनियां किसान से पहले ही कांटेक्ट कर लेंगे तो न्यूनतम समर्थन मूल्य का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
  • इसके अलावा राज्यों में चल रही जो कृषि मंडी उन पर कारपोरेट कब्जा धीरे-धीरे होता जा रहा है जिसको लेकर विपक्षी लामबंद है और हरसिमरत कौर बादल ने इन्हीं विन्दुओं पर अपना इस्तीफा सौंपा था।
  • इसमें एक और महत्वपूर्ण पॉइंट यह है कि कीमत तय करने का कोई सिस्टम इसमें है नहीं। प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा खरीदारी से एक कीमत तय करने में बहुत समस्या आएगी जिसको लेकर के हरसिमरत कौर बादल नाराज दिखीं।
  • इसके अलावा सरकार मानती है कि किसान को तय मिनिमम रकम मिलेगी। कॉन्ट्रैक्ट, किसान की फसल और इंफ्रास्ट्रक्चर तक सीमित रहेगा। किसान की जमीन पर कोई कंट्रोल नहीं होगा। विवाद पर एडीएम 30 दिन में फैसला देगा। जबकि विपक्षियों का कहना है कि कॉरपोरेट या व्यापारी अपने हिसाब से फर्टिलाइजर डालेगा और फिर जमीन बंजर भी हो सकती है।

मोदी ने किया ट‍्वीट, दी सफाई

केंद्रीय मंत्री का इस्तीफा  मंजूर हो जाने के बाद अब सियासी गलियारों में नए सिरे से आवाज उठनी शुरू हो गई है इसी बीच नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा है कि किसान को दिग्भ्रमित करने का कार्य कुछ लोग कर रहे हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि MSP और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प देकर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।

सियासी समीकरण की नजरों में इस्तीफे का मतलब

हालांकि सियासी गलियारे में चर्चा है शिरोमणि अकाली दल में फूट पड़ जाने की वजह से और किसानों के संबंधित कार्यों को ठीक से अंजाम न दे पाने की वजह से यह विधेयक उनके गले की फांस बन गया था जिसको लेकर कि उनका ग्राफ पंजाब में लगातार गिर रहा था और किसानों के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे। जिसको देखते हुए शिरोमणि अकाली दल ने यह फैसला किया है कि वह इन विधायकों के खिलाफ रहेगा और इसी को  देखते हुए हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा सौंप दिया था।

सियासत का समीकरण यह भी कहता है कि अकाली दल के हाथों से किसानों का वोट बेचने वाला था जिस को एकजुट करने के लिए शिरोमणि अकाली दल ने तत्काल यह फैसला लिया है। इसके अलावा अकाली दल के नेताओं में मतभेदों के चलते पार्टी दो धड़ों में बंट गई। पार्टी के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष से पहले ही कह दिया था शिरोमणि अकाली दल का अस्तित्व किसानों से है ऐसे में अगर केंद्र सरकार से किसानों को लेकर कोई ठोस बातचीत नहीं बनती है और को इस्तीफा देना चाहिए और किसानों के पक्ष में खड़े होना चाहिए।

 

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