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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने आईआईटी परिषद की 53वीं बैठक की अध्यक्षता की

ramesh pokhariyal nishank 1 केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने आईआईटी परिषद की 53वीं बैठक की अध्यक्षता की

नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्‍ली में आईआईटी परिषद की 53वीं बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय शामराव धोत्रे भी उपस्थित थे।

प्रत्येक आईआईटी अपने अनुसंधान उत्कृष्टता में सुधार लाने और इसके माध्यम से अपनी राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग को बेहतर करने के लिए काम करेगा। इसके लिए प्रत्येक आईआईटी अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा।

आईआईटी को वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए विदेशी छात्रों को जेईई एडवांस परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए सीधा प्रवेश दिया जाएगा। इन विदेशी छात्रों में विदेश में अध्‍ययन कर चुके और विदेशी पासपोर्ट के साथ ओसीआई कार्ड धारक भी शामिल हैं। इसके अलावा, आईआईटी मेधावी विदेशी छात्रों को आईआईटी संस्‍थानों में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की एक योजना भी तैयार करेगा। वे भारत और विदेशों में छात्रों को ऑनलाइन कार्यक्रमों की पेशकश की संभावनाएं भी तलाशेंगे।

छात्रावास की सुविधाओं को बेहतर करने और जीर्ण-शीर्ण छात्रावासों के पुनर्निर्माण के लिए एक प्रमुख अभियान शुरू किया जाएगा। इसके लिए एचईएफए के तहत अलग से वित्तपोषण की व्‍यवस्‍था की जाएगी। इसके अलावा जहां तक संभव हो सके पीपीपी मॉडल लागू किया जाएगा जिसे आईआईटी दिल्ली द्वारा शुरू किया जाएगा।

आईआईटी में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए सभी नई नियुक्तियां कार्यकाल ट्रैक्ट प्रणाली के माध्यम से होंगी। इसके तहत पीएचडी के बाद तीन साल के अनिवार्य अनुभव पर जोर दिए बिना आईआईटी नियुक्तियों को उदार बनाएगा। ऐसे संकाय सदस्यों के प्रदर्शन की समीक्षा तीन साल के बाद आंतरिक समीक्षा समिति द्वारा और पांच साल के बाद बाहरी समीक्षा समिति द्वारा की जाएगी। उसी समीक्षा के आधार पर उन्‍हें उच्च ग्रेड के लिए पदोन्नति देने संबंधी निर्णय लिए जाएंगे। यह भी निर्णय लिया गया है कि पहली और दूसरी पीढ़ी के आईआईटी न्यूनतम दो साल पूरा करने से पहले तीसरी पीढ़ी के आईआईटी के संकाय सदस्यों को नहीं लेंगे।

परिषद ने एम.टेक प्रोग्राम में सुधार संबंधी सुझाव देने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए भी अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस समिति ने सभी आईआईटी में एम.टेक प्रोग्राम के लिए एकसमान शुल्क ढांचे और एम.टेक के लिए बी.टेक प्रोग्राम के समान शुल्क लेने की सिफारिश की है। संस्थानों को उद्योग की आवश्यकता के अनुसार प्रायोजित छात्रों या प्रायोजित कार्यक्रमों की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

शैक्षणिक रूप से कमजोर ऐसे छात्र जो अगले सेमेस्टर में जाने के लिए आवश्यक अंक हासिल करने समर्थ नहीं हैं, उन्हें कार्यक्रम से बाहर करने के बजाय दूसरे सेमेस्टर के बाद एक डिग्री विकल्प से बाहर निकलने की अनुमति दी जा सकती है। आईआईटी व्यक्तिगत तौर पर इसके लिए तौर-तरीके निर्धारित करेंगे।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि आईआईटी से पास होने वाले छात्रों को उनकी डिग्री निर्धारित प्राधिकारी द्वारा मान्यता प्राप्त न होने के कारण विदेश में किसी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े, परिषद ने निर्णय लिया कि बाहरी समकक्ष द्वारा आईआईटी की समीक्षा एनबीए द्वारा निर्धारित प्रारूप में एक बाहरी समीक्षा समिति द्वारा की जाएगी और समिति द्वारा की गई समीक्षा के आधार पर एनबीए द्वारा मान्यता दी जाएगी।

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