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UN स्टडी: अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा फायदा

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नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा क्योंकि इससे देश के निर्यात में 3.5 फीसदी की तेजी आएगी। वहीं, सबसे अधिक फायदा यूरोपीय संघ को होगा, जिसके पास अतिरिक्त 70 अरब डॉलर का कारोबार आएगा। यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड ऐंड डिवेलपमेंट (यूएनसीटीएडी ) की सोमवार की रिपोर्ट में कहा गया कि वॉशिंगटन और पेइचिंग के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध (एक दूसरे के सामानों पर शुल्क लगाना) का फायदा कई देशों को होगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, फिलीपींस, पाकिस्तान और वियतनाम प्रमुख हैं। ‘द ट्रेड वॉर्स: द पेन ऐंड द गेन’ शीर्षक की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘द्विपक्षीय टैरिफ उन देशों में काम कर रही फर्मों के लाभ के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बदल देते हैं, जो उनसे सीधे प्रभावित नहीं होते हैं।

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इस अध्ययन में कहा गया कि यूरोपीय निर्यात को 70 अरब डॉलर का फायदा होगा, जबकि जापान, कनाडा और मैक्सिको के निर्यात में प्रत्येक को 20-20 अरब डॉलर का फायदा होगा। यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अमेरिका-चीन तनाव से उन देशों को ज्यादा फायदा मिलने की उम्मीद है, जो अधिक प्रतिस्पर्धी हैं और अमेरिकी और चीनी कंपनियों का जगह लेने की आर्थिक क्षमता रखते हैं।’ यूएनसीटीएडी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रमुख पामेला कोक-हैमिल्टन ने एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘इसका बड़े पैमाने पर असर होगा और समूची अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली पर इसका नकारात्मक असर होगा।’

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसी साल मार्च में चीन से अमेरिका में आयात होने वाले स्टील और ऐल्युमिनियम के सामानों पर भारी टैरिफ का ऐलान कर दिया। जवाब में चीन ने भी अमेरिकी चीजों पर टैरिफ बढ़ा दिया। चीन और अमेरिका के बीच इस तनाव के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे दोनों देशों के स्थानीय प्रॉडक्ट्स को थोड़ा बहुत फायदा तो हो सकता है लेकिन इसका व्यापक असर ग्लोबल इकॉनमी पर पड़ेगा।

यूएनसीटीएडी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के निर्यात (जिनपर अमेरिकी टैरिफ का असर पड़ेगा) के 250 बिलियन डॉलर में से अमेरिकी कंपनियां सिर्फ 6 पर्सेंट की आपूर्ति कर पाएंगी। इसी तरह अमेरिका के निर्यात (जिनपर चीन के टैरिफ का असर पड़ेगा) के 85 बिलियन डॉलर्स में से चीन की कंपनियां मात्र 5 पर्सेंट आपूर्ति कर पाएंगी। ऐसे में दूसरे देशों को इसका फायदा होगा।

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