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मध्यप्रदेश की राजनीति में उमा भारती का पदार्पण, लोग पूछे साध्वी जी का वनवास क्या खत्म हो गया

Uma bharti मध्यप्रदेश की राजनीति में उमा भारती का पदार्पण, लोग पूछे साध्वी जी का वनवास क्या खत्म हो गया

भोपाल। जिसने मध्यप्रदेश को बड़ी जीत दिलाई, वही तेजतर्रार संन्यासिन उमा भारती पिछले डेढ़ दशक से मध्यप्रदेश की सियासत से बाहर है। उमा भारती इस बार न उत्तरप्रदेश से चुनाव लड़ रही हैं, न ही मध्यप्रदेश से। मप्र में भाजपा कार्यकर्ताओं को भी उनके सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है कि साध्वी का वनवास कब खत्म होगा। उन्होंने पिछले दो चुनाव उत्तरप्रदेश से जीते।
पार्टी ने अब उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया है, ताकि वे प्रचार करती रहें। उमा इस बार मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के उन इलाकों में चुनाव प्रचार करेंगी, जो लोधी बाहुल्य हैं। कुछ महीनों पहले ही केंद्रीय मंत्री भारती ने एलान किया था कि वे 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि वे डेढ़ साल राम और गंगा के लिए काम करेंगी।
पिछले सात सालों से उत्तरप्रदेश की राजनीति में सक्रिय फायरब्रांड नेत्री उमा भारती और विवादों का हमेशा चोली-दामन का रिश्ता रहा है। तल्ख छवि और उग्र स्वभाव के कारण वे पिछले 15 सालों से मप्र की राजनीति से निर्वासित हैं। 59 वर्षीय उमा भारती ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार -चढ़ाव देखे। 2003 में उमा भारती की बदौलत ही भाजपा ने मप्र में भगवा सरकार बनाई थी पर सियासी दांव-पेंच के चक्कर में वे मात्र नौ महीने ही प्रदेश की मुख्यमंत्री रह पाईं।
सत्ता से बेदखल होने के बाद उनका कद लगातार गिरता ही गया। पार्टी नेतृत्व को चुनौती देकर पहले भाजपा से बर्खास्त हुईं, फिर 2008 में भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई। अंतत: सभी तरफ से निराशा हाथ लगने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्यस्थता से भाजपा ने उन्हें वापस तो ले लिया पर मप्र की सक्रिय राजनीति से हमेशा के लिए दूर कर दिया।
1984 में लड़ा था पहला चुनाव, पर हार गई थीं
महारानी विजयाराजे सिंधिया की बदौलत राजनीति में उमा भारती को राम जन्मभूमि आंदोलन ने बेहद ख्याति दिलाई थी। 1984 में उमा ने भाजपा से पहला चुनाव लड़ा तो हार गईं। इसके बाद वे 1989 से 1991, 1996 और 1998 में खजुराहो से चार बार सांसद बनीं। 1999 में भोपाल लोकसभा जीती। 2003 में मप्र की सीएम बनीं। नौ माह बाद पार्टी ने प्रतिद्वंद्वी शिवराजसिंह चौहान को मप्र की कमान सौंप दी।
30 अप्रैल 2006 को अक्षय तृतीया के दिन उमा भारती ने भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई। इसमें मदनलाल खुराना, तपन सिकंदर, रघुनंदन शर्मा, प्रहलाद पटेल जैसे नेता शामिल हुए, पर पार्टी चल नहीं पाई। 7 जून 2011 को उमा ने भाजपा में अपनी पार्टी का विलय तो कर दिया, लेकिन अब तक मप्र नहीं लौट पाईं।
उमा भारती भाजपा की राष्ट्रीय नेता हैं। केंद्रीय नेतृत्व उन्हें जो जिम्मेदारी सौंपेगा, वे निर्वहन करेंगी। चुनाव के दौरान मप्र में भी उनकी सभाएं होंगी। – डॉ. दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता भाजपा

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