मुंबई। कुलभूषण जाधव को बचाने में भारत सरकार पुरजोर कोशिशे कर रही है। ऐसे में देश के जाने माने वकील उज्जवल निकम का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि जाधव का केस वो लड़ेंगे हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि जाधव के साथ हो सकता है कि क्रूरता बरती गई हो। ऐसा भी मुनासिब है कि वो शायद जीवित ही ना हो जिसकी वजह से पाकिस्तान बयानबाजी कर रहा हो।
उन्होंने आगे कहा कि जाधव पूरी तरह से निर्दोष है क्योंकि ईरान सरकार ने भी कहा है कि वो वहां कारोबार करने के लिए गया था। भारत पाकिस्तान के रुख के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है जिस वजह से वो इस तरह की बयानबाजी कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पाक में नए सिरे से इस केस की सुनवाई होती है तो वो खुद वहां जाकर उनका केस लड़ेंगे क्योंकि पाक का कोई भी वकील उनका केस लड़ने के लिए तैयार नहीं है।
बरहाल अब इस पूरे मामले को लेकर भारत ने सभी तरह की द्विपक्षीय बातचीत अस्थायी तौर पर रोक दी है। भारत ने जाधव मामले पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए शुक्रवार को भारत की ओर से दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर होने वाली प्रस्तावित बातचीत को तत्काल रद्द कर दिया गया है। भारत की ओर से पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि वो रविवार(16-04-17) को आने वाले पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी (पीएमएसए) के प्रतिनिधिमंडल की स्वागत नहीं करेगा।
पढ़िए आखिर कुलभूषण जाधव को लेकर क्या है पाक का आरोप
पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण पाकिस्तान में रॉ की तरफ से जासूसी करता था और कई आतंकी गतिविधियों में भी संलिप्त था। आपको बता दें कि इससे पहले लगातार पाकिस्तान कहता रहता था कि उसके पास कुलभूषण को दोषी करार देने के लिए उनके पास कोई सुबूत नहीं थे। उल्लेखनीय है कि फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई फांसी की सजा पर पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष कमर जावेद बाजवा ने अपनी मुहर लगा दी है। आईएसपीआर के मुताबिक, जाधव को गत साल 3 मार्च को बलूचिस्तान के मश्केल इलाके से गिरफ्तार किया गया था औ उनके उपर पाकिस्तान में जासूसी करने और सिंध व बलूचिस्तान में अशांति फैलाने का आरोप है जो साबित हो गया है।
ये विकल्प जाधव की कर सकते है सहायता
-भारत सरकार के पास जाधव मामले में कानून के अनुसार अपील करने के लिए 60 दिन है।
-पाकिस्तान आर्मी एक्ट के तहत सेना की ही अदालत में अपील करनी होगी।
-मेजर जनरल रैंक का अधिकारी फिर से सुनवाई करेगा।
-अगर यहां भी सजा बरकरार रहती है तो फिर सेना प्रमुख से माफी की मांग की जा सकती है।
-पाक राष्ट्रपति से सजा माफी की गुहार अंतिम रास्ता है।