नई दिल्ली: रॉयटर्स के दो पत्रकारों को रोहिंग्या नरसंहार की रिपोर्टिंग करते समय म्यांमार के गोपनीयता कानून के उल्लंघन का दोषी पाते हुए सात साल की सजा सुनाई गई है। इस केस को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है। म्यांमार के नागरिक 32 साल के वा लोन और 28 साल के क्याव सोए ओ यांगोन की जेल में दिसंबर में हुई गिरफ्तारी के बाद से बंद हैं। उन्हें गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। यह कानून ब्रिटिश समय का है जिसमें अधिकतम 14 साल की सजा है।
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इस मामले ने पूरे अतंरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। पिछले साल रखाइन राज्य में सुरक्षाबलों ने रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों को मार दिया था। सेना द्वारा शुरू किए गए ‘सफाई अभियान’ की वजह से 700,000 रोहिंग्याओं को बांग्लादेश जाना पड़ा था। म्यांमार में सुरक्षाबल उनके साथ कई तरह के अत्याचार कर रहे थे जिसमें बलात्कार, हत्या और आगजनी शामिल हैं। शनिवार को 100 पत्रकारों ने यांगोन में दोनों पत्रकारों के समर्थन में मार्च निकाला था।
आरोपों से इंकार करते हुए दोनों पत्रकारों ने बचाव में कहा कि अपना काम करते समय वह पिछले साल रखाइन जिले में हुई 10 रोहिंग्या की मुस्लिमों की असाधारण हत्या का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच पुलिस ने उन्हें रात के खाने पर आमंत्रित किया और उनके हाथों में पेपर थमा दिया था। जैसे ही वह रेस्टोरेंट से बाहर निकले उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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By: Ritu Raj