कोरोना महामारी का इलाज अभी तक पूरी तरह नहीं मिल पाया है। वैक्सीन के जरिए ही लोगों को इस वायरस से बचाने की कोशिश की जा रही है।
कोरोना के नए केसों का आंकड़ा अब लगातार कम भी हो रहा है। जगह जगह वैक्सीनेशन कैंप लगाए जा रहें हैं । ताकि जल्द से जल्द लोगों को कोरोना वायरस से बचाया जा सके। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन लगाने के एक साल बाद उससे बनी एंटीबाॅडी घटने लगती है । उसे बरकरार रखने के लिए बूस्टर डोज लेनी होगी।
एम्स में किया गया बूस्टर का ट्रायल
कोरोना वैक्सीन को लेकर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च में जुटे हुए हैं। उनका मानना है कि वैक्सीन हमे कोरोना से तो बचाती है । लकिन वो भी कुछ समय के लिए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन की दो डोज लगवाने के बाद अब बूस्टर को लेकर काम चल रहा है। हाल ही में दिल्ली एम्स में बूस्टर का ट्रायल भी किया गया। फिलहाल अभी उसके रिजल्ट आने बाकी हैं।
इसलिए जरूरी है बूस्टर
कोरोना की दोनों वैक्सीन लोगों को कुछ समय के बाद दी जाती है। वैक्सीन लगने के बाद हमारे शरीर में मौजूद मेमोरी सेल्स एक्टिव हो जातें हैं। जो वायरस से लड़ने की क्षमता पैदा करतें हैं। बूसटर डोज लगने के बाद यह वैक्सीन को अपग्रेड करता है। इसलिए वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद साल या दो साल के बाद बूस्टर डोज दी जाती है। ताकि हमारा शरीर वायरस से लड़ता रहे। हालांकि बूस्टर को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह कोरोना अपने रूप बदल रहा है यह उसे रोकने में भी सफल होगा।
ट्रायल के बाद सामने आएंगे परिणाम
हालांकि दिल्ली के एम्स में पांच लोगों को बूस्टर खुराक दी गई है। बूस्टर खुराक उन लोगों को दी जा रही है जिन्हें पहले वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है, और जिन्हें वैक्सीन लगाए हुए 6 महीने हो चुके हैं। अब ये तो परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा कि बूस्टर कितना महत्वपूर्ण है।