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राजस्थान में फिर बढ़ा सियासी पारा, BTP के दो विधायको ने छोड़ा कांग्रेस का साथ, बताई ये बड़ी वजह

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राजस्थान। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाते है वैसे ही राजनीतिक हलचलें तेज हो जाती है। सत्ता पर काबिज होने के लिए आए दिन सरकार गिराने की कोशिश में विपक्षी पार्टियां लगी रहती हैं। चुनावी माहौल में निसाना साधने का मौका विपक्षी दल अपने हाथों से जाने नहीं देते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में पंचायत समिति के चुनाव चल रहे है। इसी बीच राज्स्थान से बड़ी खबर सामने आ रही है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। BTP के दो विधायक लगातार गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे थे। बीटीपी के दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष और गुजरात के विधायक महेश वसावा से समर्थन वापसी लेने की बात कही थी, जिस पर अमल करते हुए उन्होंने अपना निर्णय ले लिया है।

इसलिए छोड़ा BTP विधायकों ने कांग्रेस का साथ-

बता दें कि इस साल की शुरुआत में जब विधानसभा में गहलोत सरकार ने अपना बहुमत साबित किया था, तब दोनों विधायकों ने अशोक गहलोत का समर्थन किया था. बीटीपी के दोनों विधायकों ने पार्टी से समर्थन वापसी लेने की बात कही थी पायलट के बगावत ही नहीं बल्कि राज्यसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस प्रत्याशी केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन जिला परिषद का चुनाव कांग्रेस से नाता तोड़ने के लिए उन्हें मजबूर कर दिया।  हाल ही में राज्य में हुए पंचायत समिति के चुनाव में कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान हुआ है। BTP के विधायकों ने आरोप लगाया था कि चुनावों में कांग्रेस ने उसका साथ नहीं दिया और धोखा दिया।  पंचायत चुनाव में 1833 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस को 1713 सीटों पर जीत मिली है।  इसके अलावा जिला प्रमुख के चुनावों में भी बीजेपी का प्रदर्शन कांग्रेस से काफी बेहतर था।  बता दें कि राजस्थान के आदिवासी डूंगरपुर जनपद में जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में बीटीपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थी।  लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के हाथ मिलाने के चलते बीटीपी का जिला प्रमुख नहीं बन सका।  वहीं, डूंगरपुर में बीजेपी ने अपना जिला प्रमुख बना लिया।

अब कांग्रेस के पास राज्य में बहुमत है-

हालांकि, दो विधायकों के समर्थन वापस लेने से अशोक गहलोत सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।  क्योंकि अब कांग्रेस के पास राज्य में बहुमत है।  लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।  राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से अभी गहलोत सरकार के पास 118 हैं।  हालांकि, इनमें से कई निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।  साथ ही बीते दिनों खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आशंका जताई थी कि राज्य में फिर एक बार सरकार गिराने की हलचल शुरू हो गई है।  अशोक गहलोत ने ये दावा पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए किया था।  अशोक गहलोत के मुताबिक, बीजेपी फिर राजस्थान और महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।

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