featured देश

इंदिरा गांधी की वजह से 25 जून बन गया काला दिन, आपातकाल को हुए 45 साल..

emergencey 2 इंदिरा गांधी की वजह से 25 जून बन गया काला दिन, आपातकाल को हुए 45 साल..

कांग्रेस ने देश में 60 से ज्यादा सालों तक राज किया है। इस दौरान कई ऐसी घटनाएं घटि जो इतिहास बनती चली गई। लेकिन 25 जून 1975 की रात को जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाने का फैसला किया था। उसने हमेशा के लिए 25 जून की तारीक को काला दिन घोषित कर दिया। जिसे न तो कोई भारतवासी भूलेगा और न ही इतिहास।

emergencey 1 इंदिरा गांधी की वजह से 25 जून बन गया काला दिन, आपातकाल को हुए 45 साल..

आज आपकाल को लगे हुए पूरे 45 साल पूरे हो चुके हैं। 25 जून, 1975 को आपातकाल की घोषणा की गई और 26 जून 1975 से 21 – मार्च 1977 तक यानी 21 महीने की अवधि तक आपातकाल जारी रहा। आपातकाल के फैसले को लेकर इंदिरा गांधी द्वारा कई दलीलें दी गईं, देश को गंभीर खतरा बताया गया, लेकिन पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी।
आपको बता दें, राजनीतिक विरोध और कोर्ट के आदेश के चलते इंदिरा गांधी अलग-थलग पड़ गईं। ऐसे में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे ने उनको देश में आंतरिक आपातकाल घोषित करने की सलाह दी। इसमें संजय गांधी का भी प्रभाव माना जाता है। सिद्धार्थ शंकर ने इमरजेंसी लगाने संबंधी मसौदे को तैयार किया था।

तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद काल था. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए थे।आपातकाल लगाने के पीछे सबसे अहम वजह इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर देना था।

12 जून, 1975 को दिए गए इस फैसले में रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी के निर्वाचन को गलत माना गया था और उनके चुनाव को निरस्त करते हुए, अगले 6 सालों तक उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन चुनावों में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण के खिलाफ जीत दर्ज की थी।लेकिन राजनारायण ने अपनी हार स्वीकार नहीं की थी और चुनावों में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट चले गये थे। इसी मुकदमे का फैसला इंदिरा गांधी के खिलाफ आया था, जिसके बाद इंदिरा गांधी ने अपने पद धारण करने पर उठ रहे विरोध के स्वरों को दबाने के लिए आपातकाल की घोषणा की थी।

करीब 21 महीने आपातकाल लागू होने के बाद इंदिरा गांधी ने 1977 में चुनाव कराने का फैसला किया। लेकिन उनके लिए यह घातक साबित हुआ और वे अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गईं। जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने। इन चुनावों में कांग्रेस को मात्र 153 सीटें मिलीं। जबकि इससे पहले उसके पास 350 सीटें थीं।
1977 मोरारजी देसाई की सरकार ने फिर संविधान में संशोधन कर कोर्ट के वो अधिकार वापस दिलाए, जिन्हें इंदिरा गांधी ने छीन लिया था। इसके बाद आपातकाल के प्रावधान में संशोधन करके ‘आंतरिक अशांति’ के साथ ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द भी जोड़ दिया. ताकि फिर कभी भविष्य में कोई सरकार इसका दुरुपयोग न कर सके।

https://www.bharatkhabar.com/organisation-of-islamic-cooperation-countries-taken-stand-against-india/
लेकिन 25 जून हमेशा का लिए इतिहास के पन्नों में कााले दिन के तौर पर छप गया। कांग्रेस को अकसर इंदिरा गांधी के इस फैसले को लेकर आलोचना झेलनी पड़ती है।

Related posts

मेरठ में नकली नोटो के साथ दबोचे गये तीन लोग..

Mamta Gautam

प्रयागराज: भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर डॉ. वीके सिंह को उतारा

Shailendra Singh

विज्ञान भवन में वार्ता शुरु: अपनी मांगों पर अड़े किसान, कृषि मंत्री बोले, “सरकार ने मानी हैं अधिकतर मांगे”

Aman Sharma