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उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज, त्रिवेंद्र सिंह रावत बनाएंगे रिकॉर्ड!

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उत्तराखंड बीजेपी की सियासत में उठापठक जारी है। देहरादून में कोर ग्रुप की बैठक के बाद बीजेपी आलाकमान ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दिल्ली बुलाया जिसके बाद से सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि सीएम त्रिवेंद्र से कई विधायक नाराज चल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें दिल्ली बुलाया गया था। हालांकि अब क्या होगा यह तो बाद में ही पता चलेगा। लेकिन उत्तराखंड में नाराणय दत्त तिवारी को छोड़कर कांग्रेस हो या बीजेपी किसी भी पार्टी का सीएम अपने कार्यकाल के पांच साल नहीं पूरा कर पाया। लेकिन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत एक साफ छवि वाले नेता हैं। ऐसे में कयास यही लगाए जा रहे हैं कि वो सीएम बनेग रहेंगे।

किसी सीएम ने नहीं पूरा किया 5 साल का कार्यकाल

अभी तक का इतिहास गवाह रहा है कि उत्तराखंड का सियासी मिजाज अस्थिरता वाला रहा है। राज्य में बीजेपी तीसरी बार सत्ता पर काबिज हुई है। लेकिन पार्टी का एक भी सीएम अपने कार्यकाल के पांच साल नहीं पूरा कर पाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल के दौरान 2000 में उत्तराखंड राज्य बना। सत्ता पर बीजेपी काबिज हुई, लेकिन दो साल में दो मुख्यमंत्री बने।

नित्यानंद बने थे पहले मुख्यमंत्री

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री के तौर पर 9 नवंबर 2000 में बीजेपी के नित्यानंद ने सीएम पद की शपथ ली। लेकिन साल में कुर्सी उनके हाथ से चली गई। नित्यानंद के खिलाफ बीजेपी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था। जिसके बाद 29 अक्टूबर 2001 को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। विधायक दल की बैठक में भगत सिंह कोश्यारी को विधायक दल का नेता चुना गया ।

कांग्रेस का भी यही हाल

साल 2012 में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। कांग्रेस को भी पांच साल के कार्यकाल में दो सीएम बनाने पड़े। सबसे पहले पार्टी ने 13 मार्च 2012 को विजय बहुगुणा को सीएम बनाया। लेकिन दो साल बाद उन्हें कुर्सी से हटा दिया, हरीश रावत को कमान दी गई। रावत ने 1 फरवरी 2014 को सीएम पद की शपथ ली। लेकिन वह भी जूझते रहे।

2016 में लगा राष्ट्रपति शासन

कांग्रेस विधायकों के बगावत के चलते राज्य में 2016 में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। रावत के हाथ से कुर्सी चली गई। लेकिन कोर्ट से राहत मिलने के बाद दोबारा सत्ता पर काबिज हुए। जिसके बाद साल 2017 में कांग्रेस को करारी हार का सामना देखना पड़ा।

2017 में बीजेपी की मिला था पूर्ण बहुमत

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जबरदस्त जीत मिली। पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। राज्य की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली। रावत ने 18 मार्च 2017 को सीएम पद की शपथ ली। जिसके बाद से वह कुर्सी पर बने हुए हैं। लेकिन बीच में पार्टी में कुछ अनबन हुई जिसके बाद बीजेपी आलाकमान में राज्य में दो पर्यवेक्षक भेजें। जिसके बाद दोनों पर्यवेक्षकों ने हर सदस्य के साथ बैठक की। तभी से सीएम बदलने की चर्चा तेज हो गई। हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत एक साफ छवि वाले नेता हैं। लेकिन अब पार्टी आला कमान क्या फैसला लेगा यह तो वक्त ही बताएगा।

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