आज उत्तरा बहुगुणा को सब लोग जानते हैं, जानने की वजह यह है कि उत्तरा बहुगुणा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निलंबित कर दिया है। वजह ये है कि उत्तरा बहुगुणा ने मुख्यमंत्री के साथ बद्तमीजी की। मामला बहुत तूल पकड़ लिया है, लेकिन शायद जो आवाज उठा रहे हैं वह नहीं जानते हैं कि मुख्यमंत्री का पद भी गरिमामई होता है। मुख्यमंत्री से भी बात करने की तमीज होती है। मुख्यमंत्री के लिए भी एक खास लहजा इस्तेमाल होना चाहिए ।उत्तरा बहुगुणा ने सीमा पार कर दिया, मुख्यमंत्री के सामने अनाप-शनाप बोलने लगी, तो भला बताइए कि कैसे मुख्यमंत्री यह सब सुनते रहता। आखिर वह भी एक सुबे का मुख्यमंत्री है, उसको भी अपने पद का ख्याल है।
सिर्फ यही नहीं अगर उत्तरा बहुगुणा के इतिहास पर नजर डालें तो शुरूआत से ही उतरा बड़बोली किस्म की है। इससे पहले वह हरीश रावत के साथ भी इसी प्रकार से बात की थी, लेकिन इस मामले को सुलझा लिया गया था। सिर्फ हरीश रावत ही नहीं बल्कि उन्होंने रमेश पोखरियाल निशंक के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया था। तो यह कहना कहां तक सही है कि उत्तरा बहुगुणा ने जो किया वह सही किया। ऐसा भी तो हो सकता है कि मुख्यमंत्री को गुस्सा आ गया हो। गुस्सा आना स्वाभाविक है, मुख्यमंत्री भी आम इंसान हैं और उन्हें भी गुस्सा आ सकता है।