देहरादून। उत्तराखंड सरकार अब उन भगोड़े डाक्टरों पर सिकंजा कसने जा रही है जिन्होंने रियाती दरों पर राज्य के मेडिकल कॉलेजों से डाक्टरी की पढाई की और डिग्री लेकर राज्य से रफूचक्कर हो गए है | विभाग से कई बार चेतावनी देने के बाद भी इन डाक्टरों ने वापसी नहीं की है | राज्य सरकार से करार के अनुसार इन डाक्टरों को उत्तराखंड में कम से कम 5 साल सेवा देना अनिवार्य था | अब सरकार इन डाक्टरों से एक करोड़ रूपये पेनेल्टी ले तौर पर वसूलने की तैयारी में है इसके साथ ही सरकार भगोड़े डाक्टरों की मेडकिल काउंसिलिंग सटिफिकेट को भी निरस्त करने पर विचार कर रही है यदि ऐसा हुआ तो ये डाक्टर राज्य में मेडकिल की प्रेक्टिस नहीं कर पाएंगे।
भगोड़े डाक्टरों के खिलाफ सिकंजा कसना शुरू
उत्तराखंड में दम तोड़ी स्वस्थ व्यवस्था और सरकार की होती किरकिरी के बिच राज्य सरकार ने भगोड़े डाक्टरों के खिलाफ सिकंजा कसना शुरू कर दिया है कई बार निर्देश देने के बाद भी जो डाक्टर अब तक तैनाती पर नहीं आये है उनके खिलाफ सीधे तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आदेश के बाद अब विभाग ने अपना मनन पक्का कर लिया है की जल्द ही उन डाक्टरों को बांड का उलंघन करने की वजह से 2017 से पहले के डाक्टरों को 30 लाख रूपये और 2017 के बाद वाले डाक्टरों से सरकार एक करोड़ रूपये वसूलेगी इसके साथ ही मेडकिल रिकॉड सटिफिकेट को भी निरस्त कर दिया जायेगा विभाग बार बार उन डाक्टरों को ड्यूटी पर आने का पत्राचार कर रहा था
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है की पूर्व की सरकारों की वजह से ये सब हुआ है अगर बांड में कड़े निर्देश होते तो शायद डाक्टर यु राज्य से भागते नहीं लेकिन फ़िलहाल राज्य में स्वस्थ व्यवस्था सुधरने की कवायद के तहत ये जरुरी हो गया है की इन डाक्टरों पर कार्यवाही की जाये सीएम का कहना है की शायद पूर्व की सरकार ने अपने निजी हितो के लिए पास आउट छात्रों को राज्य की सेवा में नहीं लिया लेकिन हमारी सरकार ने इस मामले का संज्ञान लिया है तो जल्द ऐसे डाक्टरों पर कार्यवाही की जाएगी
ये है भगोड़े डाक्टरों का आकड़ा
उधर सीएम के आदेश का पालन ठीक से हो इसके लीये विभाग ने भी कमर कस ली है अपर सचिव -निदेशक एनएचएम स्वस्थ युगल किशोर पंत का कहना है की जल्द ही ऐसे डाक्टरों को नोटिस थमाया जायेगा आपको बता राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से अभी तक 783 एमबीबीएस डॉक्टर पास आउट हो चुके हैं। इसमें 244 ही अस्पतालों में तैनात हैं। इतना ही नहीं 213 अनुपस्थित हैं। 218 ऐसे हैं, जिनके बारे में जानकारी ही नहीं है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को कम फीस पर पढ़ाने का कोई लाभ राज्य को नहीं मिल रहा।आपको बता दें की साल 2009 में ये खंडूरी सरकार के दौरान राज्य में स्वस्थ व्यवस्था सुधरने के लिए सरकार ने सरकारी मेडकिल कॉलेजों से रियत डरो पर छात्रों को मेडकिल की पढाई करवाई थी जिसमे मात्र 15 रूपये मासिक फ़ीस देकर राज्य के छात्रों को मेडकिल शिक्षा और डिग्री दी थी लेकिन अब डिग्री लेकर राज्य के ये डाक्टर राज्य से ही मुँह मोड़ चुके है और कुछ राज्य से बहार तो कुछ राज्य में रहकर अपनी दूकान चला रहे हैं।