नई दिल्ली। इन दिनों तीन तलाक पर देश में काफी गर्मा गर्मी का माहौल देखा जा रहा है। तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे अपना अहम फैसला सुना सकता है। तीन तलाक का मुद्दा अब इतना बढ़ चुका है कि इस मामले में सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह तक किया जा सकता है कि मुस्लिम महिलाओं का लिए यह तीन तलाक सही है या नहीं। कोर्ट द्वारा यह तय किया जाएगा कि तीन तलाक से महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जाता है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक को लेकर हुई सुनवाई में इसे मुस्लिम समाज में महिलाओं को तलाक देने का सबसे खराब तरीका बताया गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट 11 मई से लेकर 18 मई तक चली सुनवाई के बाद अपना फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मुद्दे पर फैसला सुनाने के लिए पांच धर्मों के जज बैठे हुए हैं। वह हिंदू, मुस्लिम, सिख, क्रश्चिएन तथा पारसी हैं। खंड पीठ में जस्टिस यूयू ललित (हिंदू), जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम), चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी) हैं।
आपको बता दें कि मोदी सरकार द्वारा दिए गए हलफनामें में यह साफ तौर पर कहा गया है कि वह तीन तलाक को मान्य नहीं मानती हैं और वह इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। हलफनामें में यह साफ कहा गया है कि वह तीन तलाक को वैध नहीं मानती है। वही शायरा बानो ने तीन तलाक को लेकर कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी। इस दौरान उनकी तरफ से यह कहा गया था कि तीन तलाक इस्लाम का हिस्सा है ही नहीं।