लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर ने जिस प्रकार यूपी में भूचाल मचाया है, उसका खौफ अभी भी लोगों के जहन में बना हुआ है। हालांकि अब काफी नियंत्रण की स्थिति आ चुकी है, लेकिन इस लहर ने हजारों लोगों को ऐसा जख्म दे दिया है जिसे ताउम्र भुलाया नहीं जा सकेगा। इस बीच विशेषज्ञों ने अगस्त से अक्टूबर तक कोरोना की तीसरी लहर का भी एलान कर दिया है। लेकिन, यूपी सरकार इस मामले को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही करने के मूड में नहीं दिख रही है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि कोरोना की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर होगा। ऐसे में सरकार की चिंता बढ़ना जायज है। क्योंकि, पूरे देश में खासकर यूपी में मासूमों के इलाज के लिए पीआईसीयू, एनआईसीयू आदि जैसी सुविधाएं नहीं हैं। इन सभी खामियों को देखते हुए सरकार इसे समय रहते दुरूस्त कराने के प्रयासों में जुट गई है। ताकि मासूमों पर कोरोना की आंच ना आने दी जाए।
कोरोना की तीसरी लहर को लेकर योगी सरकार की तैयारी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि प्रदेश के सभी जिलों में 100-100 बेड के पीआईसीयू तैयार करने के आदेश दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर काम शुरू भी हो चुका है। वहीं डॉक्टर से लेकर अन्य स्टॉफ तक की कमियों को भी पूरा करने की कवायद शुरू हो गई है।
इस बीच बेहतरीन परिणामों के लिए आज से बच्चों के डॉक्टरों की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है। बच्चों के पीकू वार्ड में 10 नर्स तैनात रहेंगी। इसके अलावा एक शिफ्ट में कम से कम 3 नर्स तैनात रहेंगी। हर शिफ्ट में 2 डॉक्टर वार्ड में तैनात रहेंगे। पीकू वार्ड में एक बाल रोग विशेषज्ञ भी होंगे। इन सारे नियमों को भी तय कर लिया गया है।
डॉक्टरों की ट्रेनिंग सबसे पहले प्रयागराज से शुरू की जाएगी। जहां पर कुल 27 डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद एक-एक कर प्रदेश के सभी जनपदों में ट्रेनिंग कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा। उनको पीकू वॉर्ड में तैनात होने संबंधी नियमों और प्रोटोकॉल की पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी।