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ट्रेन के लोको पायलट को क्लीन चिट दिए जाने पर भड़के सिद्धू, गाय के लिए ट्रेन रूक सकती है लेकिन लोगों के लिए नहीं

नई दिल्ली। अमृतसर के दर्दनाक रेल हादसे के बाद चौतरफा सियासी हमलों का शिकार बने पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने बीते रविवार को ट्रेन के लोको पायलट को क्लीन चिट दिए जाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि गाय के लिए ट्रेन रोकी जा सकती है तो लोगों के लिए क्यो नहीं। बीते शुक्रवार को शहर के जोड़ा फाटक इलाके में रेलवे लाइन के नजदीक मैदान में हो रहे रावण दहन देखने के लिए काफी लोग रेल की पटरी पर इकट्ठा हो गए थे। इसी समय एक तेज रफ्तार ट्रेन लोगों को रौंदते हुए निकल गई। इस घटना में 59 लोगों की मौत हो गई और 57 लोग घायल हो गए। रावण दहन के इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू थीं।

navjot singh sidhu ट्रेन के लोको पायलट को क्लीन चिट दिए जाने पर भड़के सिद्धू, गाय के लिए ट्रेन रूक सकती है लेकिन लोगों के लिए नहीं

बिना जांच ट्रेन ड्राइवर क्लीन चिट क्यों?

बता दें कि घटना के बाद के सिद्धू और उनकी पत्नी को लगातार अकाली दल की तरफ से निशाना बनाया जा रहा था। रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इस दुर्घटना पर कहा था कि रेलवे की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई है। सिन्हा के इस बयान पर सिद्धू ने पूछा कि आपने कौन से आयोग का गठन किया था कि एक दिन में उसे (लोको-पायलट) क्लीन चिट दे दी। उन्होंने सवाल किया कि क्या चालक स्थाई था या वह एक दिन के लिए काम में लगा हुआ था। उन्होंने दावा किया कि जब गाय के लिए ट्रेन रोकी जा सकती है, कोई ट्रैक पर बैठे पाया गया तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाती है। ऐसे में ट्रेन बिना रुके लोगों को रौंदते हुए निकल जाती है। सिद्धू ने पूछा कि ट्रेन की गति क्या थी? यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी। जो सनसनाते हुए निकल गई।

लोगों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की

गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों ने रेलवे लाइन के निकट कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की है। अकाली दल ने पंजाब की कांग्रेस सरकार से सिद्धू को बर्खास्त किये जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने एक अनधिकृत कार्यक्रम की अध्यक्षता की। वहीं पूरी घटना की जांच के लिए राज्य सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं।

ट्रेन की टॉप लाइट खराब थी: सिद्धू

सिद्धू ने जोड़ा फाटक पर रेलवे गेटमैन पर उंगुली उठाते हुए दावा किया कि दशहरा कार्यक्रम में लगी लाइटों को 300 मीटर की दूरी से देखा जा सकता था और रेलवे और स्थानीय अधिकारियों को सतर्क किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि ट्रेन 100 किलोमीटर प्रतिघंटे से अधिक की गति से चल रही थी। कुछ लोगों का कहना है कि ट्रेन की टॉप लाइट काम नहीं कर रही थी। अगर वहां टॉप लाइट नहीं थी तो ट्रेन यार्ड से बाहर क्यों निकली? रेलवे लाइन के पास कार्यक्रम आयोजित करने के बारे में उठाए जा रहे सवालों पर सिद्धू ने दावा किया कि पटरियों के निकट एक परिसर की चारदीवारी के भीतर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए पुलिस से अनुमति मांगी गई थी। यह हादसा कार्यक्रम स्थल पर चार दीवारी के भीतर नहीं हुआ है।

पत्नी के बचाव में आए सिद्धू

अपनी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें उस शाम को 6 दशहरा कार्यक्रमों में भाग लेना था। उन्होंने कहा कि यह उनका (नवजोत कौर सिद्धू) चौथा कार्यक्रम था और वह शाम छह बजकर 40 मिनट पर पहुंच गई थी। जब वह पांचवें कार्यक्रम के लिए जा रही थीं तो उन्हें इस दर्दनाक घटना के बारे में पता चला। जब उन्होंने पुलिस आयुक्त से पूछा तो उन्होंने मौके पर जाने से उन्हें रोक दिया। इसके बाद वह सीधे अस्पताल गई (जहां घायलों को ले जाया गया था)। सिद्धू ने दावा किया कि मंच से सात बार घोषणाएं की गई कि लोग रेल पटरियों के निकट से हट जाये और परिसर के भीतर आ जाएं।

कैसे हुआ था अमृतसर रेल हादसा?

बता दें कि शुक्रवार शाम को अमृतसर के चौड़ा बाजार स्थित जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर लोग मौजूद थे। पटरियों से महज 200 फुट की दूरी पर पुतला जलाया जा रहा था। इसी दौरान जालंधर से अमृतसर जा रही डीएमयू ट्रेन वहां से गुजरी और ट्रैक पर मौजूद लोगों को कुचल दिया। इसके बाद चारो ओर लाशें बिछ गईं। इस हादसे में 59 लोगों की मौत हुई है, जबकि 57 लोग घायल हैं। हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार करीब 100 किमी. प्रति घंटे थी।

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