उत्तराखंड

उत्तराखंड को जल्द मिलने वाली है सूर्यधार झील, निर्माण कार्य का निरिक्षण करने पहुंचे पर्यटन सचिव

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सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने साहसिक पर्यटन की संभावनाओं को तलाशने के उद्देश्य से डोईवाला विधानसभा के अंतर्गत स्थित सूर्यधार झील और इठारना मंदिर में चल रहे निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया. साथ ही उनके द्वारा ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की भूमि का निरीक्षण भी किया गया. बता दें कि वन विभाग की ये लगभग 833 एकड़ जमीन आईडीपीएल को लीज पर दी गई थी जिसकी लीज अवधि 2021 में समाप्त होने जा रही है. इस भूमि पर पर्यटन विभाग द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय वैलनेस और कन्वेंशन सेंटर का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है.

‘इठरना में एक अन्य कृत्रिम झील का हो रहा निर्माण’
सूर्यधार झील थानों-ऋषिकेश मार्ग पर निर्मित एक कृत्रिम झील है. सचिव पर्यटन ने कहा कि मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत इठरना में एक अन्य कृत्रिम झील का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए लगभग 25 लाख रुपए की धनराशि जारी की गई है. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में साहसिक पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इठरना मंदिर तक जाने वाले पुराने पैदल मार्ग को ट्रैक के रूप में विकसित किया जा सकता है. पर्यटन विभाग द्वारा इसे एक साहसिक पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने की योजना है.

‘जाखन नदी पर बने बैराज पर ग्लास ब्रिज बनाने की तैयारी’
उन्होंने बताया कि झील के पास ही जाखन नदी पर बने बैराज के ऊपर एक ग्लास ब्रिज के निर्माण की फीजिबिलिटी की जांच करने के बाद निजी कंपनियों को आमंत्रित करने के उद्देश्य से शीघ्र ही अभिव्यक्तिओं की अभिरुचि (ईओआई) जारी की जाएगी. जावलकर ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के दूरस्थ ग्रामीण स्थलों को साहसिक पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने की राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत विभाग द्वारा पूर्व में ही ट्रैकिंग ट्रैक्शन ग्रोथ सेंटर योजना संचालित की गई है. जिसके अंतर्गत चिन्हित ट्रेकरूटों के निकट स्थित गांवों में नए होमस्टे निर्माण और पुराने ग्रामीण मकानों के पुनरुद्धार, शौचालय निर्माण आदि कार्यों के लिए सीधी आर्थिक राजसहायता प्रदान की जा रही है.

ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की भूमि के संबंध में सचिव पर्यटन ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस वन भूमि को पर्यटन विभाग को हस्तांतरित किए जाने का निर्णय लिया गया है. पर्यटन विभाग की योजना इस भूमि पर एक अंतरराष्ट्रीय वैलनेस और कन्वेंशन सेंटर के निर्माण की है जिसके लिए कंपनी अर्नेस्ट एंड यंग द्वारा मास्टर प्लान का निर्माण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित करते हुए भूमि के हस्तांतरण के संबंध में ससमय आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

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