संवाददाता, देहरादून। कहते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड पर प्रतिभाओं की कमी नहीं है और इसी का परिणाम है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां आते हैं और यहीं पर अपना आशियाना बनाना चाहते हैं। आज हम आपको उन स्टार खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनसे उत्तराखंड का नाम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा हुआ है-
अभिनव बिंद्रा (शूटिंग)
देहरादून में जन्मे अभिनव बिंद्रा ने शूटिंग में उत्तराखंड का नाम रौशन किया और पूरे विश्व में यूके को नई पहचान दिलाई है। बिंद्रा की प्रारम्भिक शिक्षा दून स्कूल से हुई और वह 2006 में बीजिंग ओलंपिक खेल आईएसएसएफ वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर राइफल विजेता और 2006 में ही ग्लासगो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के विजेता हैं। इसके अलावा अभिनव ने पुरुषों की हॉकी टीम में भी स्वर्ण पदक जीता है और वर्तमान में गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन, बैंगलोर में बोर्ड सलाहकार सदस्य के रूप में कार्य कर रहा है।
जसपाल राणा (शूटिंग)
उत्तरकाशी में जन्म लेने वाले जसपाल राणा को आज पूरी दुनिया जानती है जसपाल उत्तराखंड के बेहतरीन निशानेबाजों में से एक हैं। जसपाल के पिता नारायण सिंह राणा ने शूटिंग की ट्रेनिंग बीएसएफ द्वारा दिलवाई थी। अहमदाबाद में 31 वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में राष्ट्रीय पदार्पण कर जसपाल ने रजत पदक अपने नाम कर लिया। 1994 में 46 वीं विश्व शूटिंग चैम्पियनशिप (जूनियर सेक्शन) में, राणा ने स्टैंडर्ड पिस्टल शूटिंग के लिए स्वर्ण पदक जीता। राणा ने शूटिंग के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों क्षेत्रों में 600 से अधिक पदक अर्जित किए हैं। शूटिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जसपाल राणा को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एकता बिष्ट (क्रिकेट)
एकता बिष्ट उत्तराखंड की पहली महिला क्रिकेटर हैं जिसने भारत का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मैदान में प्रतिनिधित्व किया। बिष्ट का जन्म 8 फरवरी 1986 को अल्मोड़ा में हुआ था और अपनी उपलब्धियों से उत्तराखंड को गौरवान्वित किया है। एकता बाएं हाथ की बैट्समैन और बाएं हाथ की मध्यम गेंदबाज हैं।
ताशी और नुंग्शी मलिक (पर्वतारोहण)
एडवेंचरर्स ग्रैंड स्लैम और थ्री पोल्स चैलेंज को पूरा करने के लिए सेवन समिट्स पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली भाई बहन और जुड़वाँ बच्चे का नाम आते ही ताशी और नुंग्शी मलिक की याद आ जाती है। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। जुड़वा बहनें अपने परिवार के साथ देहरादून में रहती हैं और उन्होंने गुरु नानक पंचम शताब्दी स्कूल, मसूरी, उत्तराखंड से इंटर की शिक्षा प्राप्त की है।
उन्मुक्त चंद (क्रिकेट)
कुमाऊँनी राजपूत परिवार में जन्मी उन्मुक्त चंद दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं इनका जन्म कुमाऊँ क्षेत्र हुआ था और उत्तराखंड सरकार द्वारा उनके सराहनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है। उन्मुक्त के माता-पिता शिक्षक हैं जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हैं। इस युवा क्रिकेटर ने अंडर 19 विश्व कप जीता है और दिल्ली डेयरडेविल्स और मुंबई इंडियंस के लिए आईपीएल मैच खेले हैं।
मीर रंजन नेगी (हॉकी)
अल्मोड़ा जिले में जन्मे मीर रंजन नेगी का जीवन सभी को रोमांचित कर देता है। उनके जीवन पर एक फिल्म चक दे इंडिया भी बनाई गई है। 1982 के एशियाई खेलों के दौरान, मीर रंजन नेगी पर देशद्रोही होने का झूठा आरोप लगाया गया क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ 1-7 से अंतिम फील्ड हॉकी मैच गंवा दिया था। उसमें नेगी गोलकीपर थे। तमाम अफवाहों के बीच नेगी आखिरकार अपने जीवन से ऊब गए और भारतीय हॉकी टीम ने भी उनका साथ छोड़ दिया।
उन्होंने 1998 के एशियाई खेलों में भारतीय राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम में एक गोलकीपिंग कोच के रूप में शुरुआत की थी, जिसमें उनकी टीम ने स्वर्ण पदक जीता। चार साल बाद, वह भारतीय महिलाओं की राष्ट्रीय फील्ड हॉकी टीम के गोलकीपिंग कोच बन गए। उस वर्ष उनकी टीम ने 2002 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। 2004 के हॉकी एशिया कप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद वह महिलाओं की टीम के सहायक कोच भी थे।
पवन नेगी (क्रिकेट)
आईपीएल के दौरान सबसे मंहगे खिलाड़ी का नाम अगर पूरे विश्व में गूंज रहा था तो वह थे पवन नेगी। इनका जन्म अल्मोड़ा में हुआ हालाकि नेगी बाद में दिल्ली चले गए। धीमी गति के बाएं हाथ के गेंदबाज ने उस समय सुर्खियां बटोरीं, जब उन्हें दिल्ली डेयरडेविल ने युवराज सिंह को पीछे छोड़ते हुए 8.5 करोड़ रुपये में खरीदा था। पवन नेगी ने 2016 के एशिया कप में संयुक्त अरब अमीरात क्रिकेट टीम के खिलाफ भारतीय क्रिकेट टीम के लिए ट्वेंटी 20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया। वह प्रथम श्रेणी रणजी ट्रॉफी प्रतियोगिता में दिल्ली के लिए खेलते हैं और टीम के लिए लिस्ट ए और ट्वेंटी 20 क्रिकेट भी खेल चुके हैं।