नई दिल्ली। बीते 4 सालों में विपक्ष इनता भी मजबूत नहीं रह गया था कि मोदी सरकार के खिलाफ किसी फैसले में आवाज उठा सके। लेकिन बीते 4 सालों में यह पहली बार हो रहा है कि मोदी सरकार के घटक दल रहे टीडीपी ने पहले तो सरकार से नाता तोड़ा फिर सभी विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को सदन के पटल पर रख दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने एनडीए का गठन किया है। जिसमें आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी उनकी घटक है। अब विशेष राज्य का दर्जा ना दिए जाने पर टीडीपी ने नाराजगी जाहिर करते हुए साफ किया कि अब वह घटक का हिस्सा नहीं रहेंगे। साथ ही अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर आज सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे।
2019 के आम चुनाव से सिर्फ एक साल पहले तेलुगु देशम पार्टी ने एनडीए से गठबंधन तोड़ दिया है। मोदी सरकार से नाराजगी के चलते टीडीपी के दो सदस्य पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं और अब 16 सदस्यों वाली टीडीपी ने साथ छोड़ दिया है। प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने के कारण चन्द्रबाबू नायडू की अगुआई वाली टीडीपी और अन्य स्थानीय पार्टियां केंद्र सरकार से काफी नाराज़ हैं। जिसके चलते टीडीपी ने अन्याय के रुप में देखते हुए मोदी सरकार के खिलाफ एक अविश्वास प्रस्ताव चलाया है, जिसमें कांग्रेस, सीपीआई-एम और एआईएमआईएम समेत कई विपक्षी दलों ने प्रस्ताव के लिए अपना समर्थन दिया है।