आज पूरे देश में सावन महीने की शिवरात्रि मनाई जा रही है। यूं तो हर महीने शिवरात्री आती है। लेकिन सावन की शिवरात्रि का मबत्व ही अलग होता है।
नई दिल्ली। आज पूरे देश में सावन महीने की शिवरात्रि मनाई जा रही है। यूं तो हर महीने शिवरात्री आती है। लेकिन सावन की शिवरात्रि का मबत्व ही अलग होता है। वैसे तो सावन का पूरा महीना ही भगवान शिव को सम्पर्पित है और पूरे महीने में उनकी ही पूजा की जाती है। लेकिन जब सावन के महीने में शिवरात्रि आती है तो उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस सावन की शिवरात्रि को भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। आम दिनों में भगवान शिव को जल चढ़ाया जाता है लेकिन जब भगवान शिव को सावन की शिवरात्रि पर जल चढ़ाया जाता है तो वो अपने भक्तों से ज्यादा खुश होते हैं।
सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने का समय
हर साल सावन के महीने में शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है इस साल शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट का है। इस सावन के महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए शुभ समय 19 जुलाई की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 52 मिनट तक का समय शुभफलदायी रहेगा। प्रदोष काल में जलाभिषेक करना काफी शुभ रहता है। ऐसे में 19 जुलाई की शाम के समय 7 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में जलाभिषेक किया जा सकता है।
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शिवरात्रि पूजा मुहूर्त- 19 जुलाई
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – जुलाई 19, 2020 को 12:41 AM बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त – जुलाई 20, 2020 को 12:10 AM बजे
निशिता काल पूजा समय – 12:07 AM से 12:10 AM बजे
पूजन विधि
इस दिन शिव की आराधना पंचामृत से करें तो अति उत्तम रहेगा। शिव की ही ऐसी पूजा है जिसमे केवल पत्र, पुष्प फल और जल का अर्पण करके पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है। आपके पास जो भी सामग्री हो उसी को लेकर श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव की पूजा करें। ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय ! का जप करते रहें, साथ ही ॐ नमो भगवते रुद्राय, का जप भी कर सकते हैं। ऐसा जपते हुए बेलपत्र पर चन्दन या अष्टगंध से राम-राम लिख कर शिव पर चढ़ाएं।
पुत्र पाने की इच्छा रखने वाले शिव भक्त मंदार पुष्प से, घर में सुख शान्ति चाहने वाले धतूरे के पुष्प अथवा फल से, शत्रुओं पर विजय पाने वाले अथवा मुकदमों में सफलता की इच्छा रखने वाले भक्त भांग से शिव पूजा करें तो सभी तरह की पराजय की संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी। संपूर्ण कष्टों और पुनर्जन्मों से मुक्ति चाहने वाले मनुष्य गंगा जल और पंचामृत चढाते हुए ॐ नमो भगवते रुद्राय ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नों रुद्रः प्रचोदयात। इस मंत्र को पढ़ते हुए सभी सामग्री जो भी यथा संभव हो उसे लेकर समर्पण भाव से शिव अर्पित करें। इस तरह आप श्रद्धाभाव और विश्वास के साथ जो भी शिव को अर्पण करेंगे उससे महादेव आपकी सभी मनोकामनायें पूर्ण करेंगे।