कजरी तीज का देश में बहुत महत्व माना जाता है। इस पर्व को भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस पर्व को कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। कई जगह पर इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जैसे कहीं पर इसे बूढ़ी तीज तो कहीं पर सातूड़ी तीज के नाम से जाना जाता है। इस त्योहार को देश के कई राज्यों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस त्योहार को यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में ज्यादा मान्यता दी जाती है। यहां के लोग इस पर्व को और त्योहारों की तरह ही पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। आज कजरी तीज मनाई जाएगी।
कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
तृतीया आरम्भ- 24 अगस्त को शाम 4 बजकर 7 मिनट से
तृतीया समाप्त- 25 अगस्त को शाम 4 बजकर 21 मिनट पर
कैसे करें पूजा
बता दें कि इस दिन पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंमपरा है। वहीं कुवांरी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को रखती है। पूजा करते वक्त सबसे पहले नीमड़ माता को जढ़ चढ़ाकर पूजा की शुरुआत करें। साथ ही माता को रोली और चावल चढ़ाएं, इसके बाद नीमड़ माता का श्रंगार करना शुरू करें। उन्हें मेंहदी लगाए और रोली बांधे, इसके बाद माता को मेंहदी, काजल और कपड़े चढ़ाए। उसके बाद माता को फल और दक्षिणा चढ़ाए। पूजा के कलक्ष पर लच्छा बांधे। भगवान शिव और मां पार्वती के सामने बड़ा सा दीपक जलाएं और मंत्रों का जाप करें। जब पूजा खत्म हो जाएं तो किसी सुहागन को सुहाग की चीज़े दान करें और उससे आशीर्वाद लें।
कजरी तीज का महत्व
वहीं आपको बतातें चले कि जिस तरह से हरियाली तीज का महत्व होता है। वैसे ही इस तीज को भी उतनी ही मान्यता दी जाती है। सुहागन महिलाओं को लिए इस तीज का बहुत ही महत्व है। इस दिन सुहागने पति की लंबी उम्र और घर की सुख शांति के लिए व्रत रखती है। कहते हैं इस दिन व्रत रखने से सुहागनों को शिव-पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन का महत्व इस लिए भी ज्यादा है कि इस दिन मां पार्वती ने घोर तपस्या के बाद शिव जी को पाया था। इस दिन सुहागनों और कुवांरी लड़कियों को शिव-पार्वती की उपसना करनी चाहिए। ऐसा करने से कुवांरी लड़कियों को अच्छा वर मिलता है और सुहागनों के सुहाग सलामत रहते हैं।