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शंघाई सहयोग संगठन में भारत की पूर्णकालिक सदस्यता पर लगेगी मुहर

sco शंघाई सहयोग संगठन में भारत की पूर्णकालिक सदस्यता पर लगेगी मुहर

नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन के कजाकिस्तान में हो रहे शिखर सम्मेलन इस क्षेत्रीय संगठन में भारत को पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर शामिल किया जायेगा। कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में इस मौके पर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद रहेंगे। इसके ही यहां पर इस संगठन में भारत और पाकिस्तान दोनों को ही SCO की पूर्णकालिक सदस्यता दी जानी है। इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिंगफिंग के बीच द्विपक्षीय मुलाकात भी हो सकती है। फिलहाल यहां पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी शामिल होने आ चुके हैं। लेकिन अभी तक उनसे मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं । विदेश मंत्रालय ने पाक पीएम नवाज से किसी भी मुलाकात या बातचीत से इनकार किया है।

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इसके बाद पीएम मोदी कजाकिस्तान में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय प्रदर्शनी वर्ल्ड एक्सपो 2017 में भी शामिल होंगे। SCO में भारत की पूर्ण सदस्यता के बाद अब इस सम्मेलन में भारत बतौर सदस्य भाग ले सकेगा। अब तक भारत केवल पर्यवेक्षक देश के तौर पर शामिल होता रहा है। 2015 में रूस के उफा में आयोजित सम्मेलन में भारत को सूचित किया गया था कि उसे समूह की पूर्ण सदस्यता दी जायेगी। हांलाकि इस पर विचार 2016 के ताशकंद सम्मेलन में किया गया था। हालाकि इस बार भारत के साथ पाकिस्तान को भी इस संगठन में बतौर पूर्णकालिक सदस्य जगह मिल सकती है। अब तक इस संगठन में दक्षिण एशियाई देश चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रुस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान के बाद सातवें और आठवें नम्बर पर भारत और पाकिस्तान होंगे।

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव यूरेशिया जी वी श्री निवास ने जानकारी देते हुए कहा कि भारत ने इस समूह में शामिल होने के लिए 38 से अधिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए है। इस संगठन में शामिल होने के बाद पीएम मोदी के आतंकवाद विरोधी अभियान को भी बड़ी मदद मिल सकेगी। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था और अन्य मुद्दों पर भी भारत अब यूरेशियन गुट के साथ आ गया है। यहा गुट दुनियां की 40 फीसदी आबादी के साथ 20 फीसदी वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करने वाला गुट है।

पीएम मोदी ने अपने अस्ताना दौरे के पहले ही एक बयान देते हुए कहा था कि SCO की ताशकंद बैठक के दौरान ही इस संगठन के पूर्णकालिक सदस्यता की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। अब इस संगठन में सदस्यता के बाद हमें सहयोगी राष्ट्रों के साथ आर्थिक,औद्योगिक और आतंकवाद रोधी मुद्दों पर मदद मिलती रहेगी। हमारा SCO के सदस्य देशों के साथ दीर्घकालिक संबंध रहा है। अब बतौर सदस्य हम इस संबंध को और मजबूती दे सकेंगे।

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