धर्म

अष्टमी और नवमीं पर करें माता महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना

maha gori sidhi gayetri अष्टमी और नवमीं पर करें माता महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना

नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र के आठवें दिन आज मंदिरों और घरों में माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा हो रही है। लेकिन इस बार द्वितीया के क्षय के कारण नवरात्र के सातवें दिन मंगलवार को ही माता महागौरी की पूजा होगी। छठे दिन सोमवार को मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की गई। महागौरी आदि शक्ति हैं। इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान होता है। इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है। मां महागौरी की अराधना से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्तजीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है।

MahaGauri pic 2 अष्टमी और नवमीं पर करें माता महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना

देवी महागौरी की चार भुजाएं हैं। उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभता है। बायीं भुजा में डमरू डम डम बज रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं। जो स्त्री इस देवी की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं। कुंवारी लड़की मां की पूजा करती हैं तो उसे योग्य पति प्राप्त होता है। पुरूष जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंतःकरण देती हैं। मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं।

नवरात्र के दसवें दिन कुवारी कन्या भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी (इस बार सातवें दिन) देवी की पंचोपचार सहित पूजा करना शुभ माना जाता है।

Siddhidatri pic 1 अष्टमी और नवमीं पर करें माता महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना

माता सिद्धिदात्री की ऐसे करें पूजा

नवरात्र के नौंवे दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है लेकिन इस बार अष्टमी और नवमीं एक ही दिन पड़ने के कारण महागौरी के साथ ही उनकी पूजा हो रही है।मात्रा सिद्धिदात्री इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए।

मां सिद्धिदात्री का मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

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