नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन को आज 31वां दिन है। किसान दिल्ली के चारों ओर डेरा डाले हुए हैं। इसी बीच कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पीएम किसान सम्मान योजना के अंतर्गत देशभर के किसानों के बीच 18000 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं। जिसके चलते किसानों के खातों में 2000 की किस्त पहुंच गई है। इसी बीच पंजाब के किसानों ने बैंक अकाउंट में पैसे आने के बाद कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलन करने के लिए ही पैसा भेजा है। किसानों के आंदोलन की फंडिंग को लेकर सत्ताधारी पार्टी के कई नेता सवाल उठा चुके हैं।
किसानों के खाते में आए 2000 हजार रुपये-
बता दें कि हर किसान के खाते में 2000 रुपये भेजे गए हैं। इसका फायदा पंजाब के किसानों को भी हुआ है और उनके खाते में भी 2000 रु भेजे गए हैं। पंजाब के किसानों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने यह पैसा आंदोलन कर रहे किसानों की मदद के लिए भेजा है। पंजाब के सियालका गांव में रहने वाले कई किसानों के खाते में 2000 रु आए हैं। किसानों का कहना है कि सरकार हमारे आंदोलन पर सवाल उठाते हुए पूछ रही है कि उनके आंदोलन की फंडिंग कौन कर रहा है। सियालका गांव के रहने वाले बलविंदर सिंह का कहना है कि मोदी सरकार के खिलाफ हमारे आंदोलन की फंडिंग खुद मोदी सरकार कर रही है। बलविंदर सिंह का कहना है कि जो पैसा मोदी सरकार ने हमारे खाते में दिया है वह पैसा हम आंदोलन के लिए दान कर देंगे। सियालका गांव के रहने वाले दूसरे किसान जसपाल सिंह ने कहा, “जो लोग आंदोलन की फंडिंग पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें हम यह कहना चाहते हैं कि पंजाब के किसान घर-घर गांव-गांव जाकर लोगों से इस आंदोलन के लिए समर्थन मांग रहे हैं और लोग अपनी इच्छाशक्ति से 50 रु से लेकर 5000 रु तक दान कर रहे हैं जिससे हम जरूरत का सामान खरीद कर दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसानों की मदद के लिए भेज रहे हैं।
हमारी लड़ाई सरकार से है हम उसका दिया 1 रुपये भी इस्तेमाल नहीं करेंगे-
जसपाल सिंह कहते हैं कि मोदी सरकार ने हमारे खाते में 2000 रु भेजे हैं और अब यह पैसा भी हम आंदोलन के लिए भेज देंगे, हमारी लड़ाई सरकार से है हम उसका दिया 1 रुपये भी इस्तेमाल नहीं करेंगे। अब प्रधानमंत्री सम्मान निधि से जो पैसा पंजाब के किसानों को भेजा गया वह पैसा भी किसान आंदोलन के लिए भेजा जा रहा है। अमृतसर के आसपास सियालका जैसे ऐसे कई गांव हैं जहां किसान घर-घर जाकर चंदा जमा कर रहे हैं और जरूरत का सामान इकट्ठा कर रहे हैं।