नई दिल्ली। गंगा में प्रदूषण रोकने के लिये केंद्र सरकार सम्भवतः संसद के इस सत्र में विधेयक ला रही है, अच्छी बात है, लेकिन प्रदूषण तब होगा, जब गंगा में पानी रहेगा, गंगा में अविरलता रहे। पानी नहीं रहेगा, तो प्रदूषण स्वतः समाप्त हो जायेगा। क्या सरकार उसके लिये भी कुछ करेगी? क्या गंगा की सहायक नदियों, गाड़-गदेरों और पानी के स्रोतों की रक्षा के बिना गंगा में प्रदूषण दूर हो पायेगा?
बता दें कि क्या दिल्ली में आँख के अन्धों ने उन लोगों से बात-चीत की जो गंगा की गोद में पैदा हुये और उसकी तासीर को समझते हैं? क्या आप गंगा पर जन और लोकाधिकारों को मान्यता देंगे? गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बने और बन रहे बाँधों को क्या आप हटाने का काम करेंगे? जिससे इन नदियों की अविरलता बनी रहे। क्या आप इन नदियों के water Catchment क्षेत्र की सर्वांग रक्षा के लिये कुछ करेंगे? इस तरह के क़ई प्रश्न विधेयक पारित होने से पूर्व अनुत्तरित नहीं रहने चाहिये।जिनका जीवन गंगा पर आधारित है, उनके लिये आप क्या करेंगे?
1980-81 से हिमालय और गंगा के सरोकारों से जुड़ा होने के कारण कुछ स्पष्ट मत है
- मध्य हिमालय के विकास के लिये सतत
- समावेशी विकास की नीति बनाये बिना और
- गंगा के Water Catchment क्षेत्र के
- निवासियों को उनके पुश्तैनी हक़-हक़ूक़ दिये
- बिना गंगा की रक्षा और प्रदूषण मुक्त होना असंभव है।
- इसके लिये जन संवाद की आवश्यकता है।
- जल्द बाज़ी में लिया गया निर्णय आत्मघाती होगा।
- वनाधिकार आन्दोलन
- गंगा और हिमालय की रक्षा का विनम्र प्रयास है।