नई दिल्ली : पूर्णिमा की रात हमेशा ही बहुत सुंदर होती है लेकिन शरद पूर्णिमा की रात कई मायनों में अलग है। धार्मिक आस्था है कि शरद पूर्णिमा की रात में आसमान से अमृत की वर्षा होती है। पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि इसकी सुंदरता को निहारने के लिए स्वयं देवता भी धरती पर आते हैं।
रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना
शास्त्रों के अनुसार शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी धरती के मनोहर दृश्य का आनंद लेती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को कोजागरी भी कहा जाता है। जो इस रात में जगकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं मां लक्ष्मी की उन पर कृपा होती है।
सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है
शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु यानि सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा करके व्रत रखा जाता है। मां लक्ष्मी को खुश रखने के लिए आज की रात कुछ काम जरूर करें।
खीर बनाकर चंद्र देव और मां लक्ष्मी को अर्पित करने चाहिए
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने में पर्व शरद पूर्णिमा पर काशी में खीर बनाकर चंद्र देव और मां लक्ष्मी को अर्पित करने का महात्मय है। बुधवार की रात महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रात्रि जागरण करें। ज्योतिषीय मतानुसार जो इस रात लक्ष्मी जी की षोडशोपचार विधि से पूजा करके विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करते हैं, उनकी कुण्डली में धनयोग नहीं होने पर भी माता उन्हें धन-धान्य से संपन्न कर देती हैं।
भगवान चन्द्रमा की भी पूजा अर्चना करना
आज के दिन भगवान चन्द्रमा की भी पूजा अर्चना करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था, इसीलिए देश के कई हिस्सों में शरद पूर्णिमा को लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है, कुंवारी कन्याएं इस दिन सुबह सूर्य और चन्द्र देव की पूजा अर्चना करें तो उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से निकलने वाले अमृत का लाभ लेने और लक्ष्मी की कृपा के लिए भक्तगण विविध आयोजन करेंगे। आयुर्वेद चिकित्सक जड़ी बूटियों से औषधियों का निर्माण कर असाध्य रोगों की दवा भी वितरित करेंगे। मंदिरों के साथ ही घरों में भी रात भर भजन-कीर्तन की तैयारी है।