तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने लॉकडाउन के दौरान देवस्थानम बोर्ड की बैठक कराए जाने पर विरोध जताया है।
देहरादून। तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारियों ने लॉकडाउन के दौरान देवस्थानम बोर्ड की बैठक कराए जाने पर विरोध जताया है। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों पर आवाजाही और बैठकों पर रोक है तो देवस्थानम बोर्ड की बैठक का क्या औचित्य है? चेतावनी दी कि बैठक रद्द न की गई तो 22 को काला दिवस मनाया जाएगा।
बता दें कि मुख्यमंत्री आवास पर 22 मई को देवस्थानम बोर्ड की पहली बैठक प्रस्तावित है। विरोध कर रही चार धाम तीर्थपुरोहित हक हकूकधारी महा पंचायत ने मंगलवार को विज्ञप्ति जारी कर सरकार पर कई आरोप जड़े।
कहा कि प्रदेश सरकार की नजर चार धाम और 51 मठ मंदिरों की संपत्ति पर है। तीर्थ पुरोहितों, हक-हकूकधारियों, पुजारियों, न्यासियों आदि को परंपरा से मिले अधिकारों से वंचित करना चाहती है।
महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड का पूरा गठन हुए बिना बैठक का कोई मतलब नहीं। पूरे देश मे धार्मिक गतिविधियां बंद हैं तो देवस्थानम बोर्ड धर्म संबंधी फैसले किस आधार पर लेना चाहता है। आरोप लगाया कि जिनके बारे मे फैसले होने हैं उन लोगों को भी बैठक से दूर रखा गया है। महापंचायत कोषाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण जुगडाल ने तीर्थों में सरकारी हस्तक्षेप किसी तरह मान्य नहीं जाने की बात कही।
वहीं, सचिव हरीश डिमरी ने साफ कहा कि मंदिरों का अधिग्रहण कर उन्हें जिला प्रशासन के अधीन करने का पुरजोर विरोध किया जायेगा। बयान जारी करने वालों में सुरेश सेमवाल, जगमोहन उनियाल, कुबेरनाथ पोस्ती, जमुना प्रसाद रैवानी आदि भी शामिल थे।