नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को करीब दो महीने होने को आए हैं। लेकिन किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के चारों ओर डटे हुए हैं। इसके साथ किसानों से संबंधित मुद्दा 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गया था। जिसके बाद सुप्रीम ने फैसला देते हुए कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में चार सदस्य शामिल किए गए हैं। जिसके चलते इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और डा. प्रमोद जोशी को शामिल किया गया है। कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी।
ये लोग कमेटी में शामिल-
बता दें कि कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच 8 दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन किसी में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। जिसके चलते अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए चार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान हैं। ऑल इंडिया किसान को-आर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन हैं। 1990 में राज्यसभा सांसद बने, नॉमिनेटेड थे। किसानों के लिए लगातार संघर्ष करते रहे हैं। कृषि अर्थशास्त्री और खाद्य नीति विशेषज्ञ डा. प्रमोद जोशी हैं। साउथ एशिया इंटरनेशल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक हैं। भारत सरकार में राइट टू फूड कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। किसानों के संगठन शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट हैं। शेतकारी संगठन किसानों के बीच काम करती है। ये महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। इसके साथ ही अशोक गुलाटी कृषि अर्थशास्त्री हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सुझाव देने वाली कमेटी CACP के चेयरमैन रह चुके हैं। 2015 में पद्मश्री से सम्मानित किए जा चुके हैं।
कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई-
वहीं दूसरी तरफ कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों ने असहमति जताई है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी। गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी। राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे है। अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी। देश का किसान इस फैसले से निराश है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा।