नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और उपचुनाव होने वाले हैं। जिनमें उम्मीदवार जीतने की उम्मीद में अंधा-धुंध पैसा खर्च करते हैं। उन्हें ये सिर्फ जीतने की चाहत बनी रहती है। जैसे ही चुनाव नजदीक आने लगे वैसे ही चुनाव आयोग ने खर्चे को लेकर एक्शन ले लिया। जिसके चलते चुनाव आयोग ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया जो चुनाव के प्रचार-प्रसार होने वाले खर्च पर निगरानी रखेगी।
बता दें कि चुनावों को लेकर कई राज्यों में पार्टी व उम्मीदवारों की राजनीतिक हलचलें तेज हो गई। सभी क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अपनी चरम सीमा पर है। इस समय प्रचार-प्रसार आसमान छू रहा है। अगर हम बिहार में आने वाले विधानसभा चुनाव की बात करें तो सभी राजनीतिक पार्टीयां बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। चुनाव में उम्मीदवार और राजनीतिक पार्टीयां कितना पैसा खर्च कर रही है। उसकी सभी जानकारी रखने के लिए चुनाव आयोग ने एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इस कमेटी में हरीश कुमार जो पूर्व आईआरएस और डी जी इन्वेस्टिगेशन हैं। उनके साथ ही चुनाव आयोग में सेके्रटरी जनरल उमेश सिन्हा और चुनावी खर्च पर रखने निगरानी वाले डायरेक्टर जनरल का नाम शामिल है। इन लोगों की जिम्मेदारी है कि बिहार समेत अलग-अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और उपचुनावों में जो पैसा खर्च हो रहा है वो तय सीमा से ज्यादा तो नहीं हो रहा।
जानकारी के अनुसार चुनावी खर्च बढ़ाने का फैसला 2014 में लिया गया था। पिछले 6 सालों के दौरान बढ़ी महंगाई और बढ़े हुए मतदाताओं की संख्या हवाला देकर लगातार राजनीतिक दल और उम्मीदवार चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्रालय ने चुनावी खर्च पहले की तुलना में 10 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया था। कानून मंत्रालय के फैसले के बाद उम्मीदवार अब लोकसभा चुनावों में अधिकतम 77 लाख और विधानसभा चुनावों में अधिकतम 30.80 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं। अभी तक लोकसभा चुनावों में खर्च सीमा 70 लाख जबकि विधानसभा चुनावों में अधिकतम खर्च सीमा 28 लाख रुपये तक थी।