नई दिल्ली। संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में पास होने के बाद तीन तलाक के विधेयक को राज्यसभा के पटल पर रखा गया। राज्यसभा में बिल को पेश करते के साथ ही विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया और बिल में बदलाव करने की मांग की। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस जिसने लोकसभा में बिल पास होने में कोई रोड़ा नहीं अटकाया उसने राज्यसभा में बिल के पेश होते ही अपना रंग बदल लिया। कांग्रेस के सदस्यों ने ये कहते हुए बिल का विरोध किया की बिल के प्रावधानों से उन्हें कड़ी आपत्ति है। कांग्रेस के विरोध के बाद विपक्ष के सभी दलो ने मोदी सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया। कांग्रेस का कहना है कि इस बिल को कानून बनाने से पहले इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाए।
हालांकि विपक्ष की आपत्ति को दरकिनार करते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कुछ लोग जबरन विरोध के नाम पर इस बिल की राह में रोड़े अटका रहे हैं। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप लोगों ने लोकसभा में इस बिल का विरोध नहीं किया तो फिर राज्यसभा में आते ही आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। इसी बीच भारी हंगामे के चलते राज्यसभा को एक बार फिर स्थागित कर दिया गया।
बता दें कि लोकसभा में बिल पास होने के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने खास विरोध नहीं किया था। केवल हैदराबाद के सांसद और एमआईएम के सांसद असद्दुदीन ओवैसी ने इसमें कुछ बदलाव की मांग करते हुए संसोधन प्रस्ताव रखे थे, जो एकतरफा वोटिंग में खारिज हो गए। बाद में आसानी से लोकसभा में यह बिल पास हो गया। इसके बाद से ही सभी की निगाहें राज्यसभा पर लगी हुई थीं जहां सत्तारूढ़ भाजपा अभी भी अल्पमत में है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस, भाकपा, माकपा, द्रमुक, सपा, बीजद, अन्नाद्रमुक आदि ने विधेयक को लेकर अपनी भावनाओं से राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पहले ही अवगत करा दिया था।