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जन्माष्टमी पर विशेष: आखिर ओशों ने क्यों कहा कृष्ण इस धरती के सबसे बड़े अवतार, कोई भी उन जैसा नहीं…

जन्माष्टमी पर विशेष: आखिर ओशों ने क्यू कहा कृष्ण इस धरती के सबसे बड़े अवतार, कोई भी उन जैसा नहीं...

‘संसार के व्यक्ति की हर चीज के पीछे कुछ न कुछ कारण होता है। पर कृष्ण के जीने और करने के पीछे कुछ भी कारण नहीं है। वह हर चीज आनंदित होकर और अकारण कर रहे है। जब तक  आप प्रेम और सभी चीजों के पीछे कारण खोजेंगे धोखा खाएंगे। सच्चे धर्म का जन्म तभी होता है जब हम बिना कारण कुछ करने को आतुर होते है।’

LUCKNOW: कृष्ण जैसी चेतना के जन्म के लिए समय, सभी काल, सभी परिस्थियां काम की हो सकती है। कोई कोई परिस्थित कृष्ण जैसी चेतना के पैदा होने का कारण नहीं होती है। यह दूसरी बात है कि किसी विशेष परिस्थिति में वैसी चेतना को विशेष व्यवहार करना पड़े। लेकिन ऐसी चेतनाएं काल निर्भर नहीं होती। सिर्फ सोए हुए लोगों के अतिरिक्त काल पर कोई भी निर्भर नहीं होता। जागा हुआ कोई भी व्यक्ति कोई भी व्यक्ति अपने समय से पैदा नहीं होता, बल्कि अपने समय को अपने अनुकूल ढाल लेता है। हम सदा सोचते है कि कृष्ण इसलिए पैदा होते है कि युग का बहुत बुरा हाल है। लोगों की दुर्गित है। यह लोगों की बुनियादी भूल है। हमने कृष्ण को भी अपनी उपयोगिता के अनुरुप ढाल लिया। इसका एक मतलब यह हुआ कि कृष्ण को हम अपने लिए देख सकते है। किसी अर्थों में नहीं भी देख सकते।

OSHO 1 जन्माष्टमी पर विशेष: आखिर ओशों ने क्यों कहा कृष्ण इस धरती के सबसे बड़े अवतार, कोई भी उन जैसा नहीं...

कृष्ण अपने आनंद के लिए पैद होते हैं-ओशो

कृष्ण किसी के लिए पैदा नहीं होते। कृष्ण अपने आनंद के लिए पैदा होते है। अपने आनंद के लिए जन्म लेते है। ऐसा कोई युग नहीं हो सकता जब कृष्ण जैसा व्यक्तित्व पैदा हो और हम उसका उपयोग ना कर सकें। यहां सभी युग पीड़ित है परेशान है। तो कृष्ण तो सभी युग के लिए उपयोगी है।इसीलिए कृष्ण की उपयोगिता की भाषा में सोचना गलत है। लेकिन हम हर चीज के उपयोग के बारे में सोचते है। कृष्ण जन्मते है तो मरे लिए बुद्ध जन्मते है तो मेरे लिए, फूल खिलते है तो मेरे लिए। चांद तारे है तो मेरे लिए, सूरज सुबह निकलता है तो मेरे लिए, नहीं ऐसा नहीं है। जिंदगी की धारा उपयोगिता की धारा नहीं है।

OSHO 2 जन्माष्टमी पर विशेष: आखिर ओशों ने क्यों कहा कृष्ण इस धरती के सबसे बड़े अवतार, कोई भी उन जैसा नहीं...

कृष्ण किसी के लिए जन्म नहीं लेते-ओशो

कृष्ण पूरी तरह से आनंद में जीते है। ऐसे व्यक्ति कभी भी पैदा हो जाए तो हम जरूर उनका उपयोग करेंगे। जिन लोगों ने यह कहा कि कृष्ण इस कारण से पैदा हुए, वे यह कह रहे है कि समाज की परिस्थितियां उनके जन्म का कारण है। नहीं, समाज की ऐसी कोई परिस्थितियां नहीं है, कि कृष्ण जैसी चेतना को जन्म दे सके, समाज तो बहुत पीछे होता है, जब कृष्ण का जन्म होता है। बल्कि कृष्ण पैदा होकर समाज को नई दिशा देते है। नए मार्ग दे जाते है। नई शक्ल नई रूप रेखा देते है। पर जीवन उपयोगितावादी नहीं है, बस जीवन एक खेल है, एक लीला है। कृष्ण किसी काम के लिए नहीं जीते। वह जिस रास्ते से गुजरते है। अगर वहां कांटे है तो वह उसे हटा देते है पर वह राह के कांटे हटाने के लिए नहीं निकले थे। वह उनके आनंद का हिस्सा है। बात सीधी साफ है वह रास्ते से निकले थे वहां कांटे मिले तो उन्होने हटा दिए, पर वह राह पर इसलिए नहीं निकले थे कि कांटे हटाने है। इसलिए वह सिर्फ घटित होते है। वह सामजिक और बाह्य कारण नहीं है।

OSHO 3 जन्माष्टमी पर विशेष: आखिर ओशों ने क्यों कहा कृष्ण इस धरती के सबसे बड़े अवतार, कोई भी उन जैसा नहीं...

जिंदगी पूरी तरह से कृष्ण के हाथ में है-ओशो

जिंदगी हमारें हाथों में है, कृष्ण के बिल्कुल हाथों में है। वह जैसा जीना चाहते है जीते है। इसलिए कृष्ण किसी समाज, राजनीतिक स्थिति के लिए पैदा नहीं होते है। कृष्ण तो बस आनंद में खिलते है। यह खिलना वैसे ही अकारण है जैसे आकाश में बादलों का चलना, जमीन पर फूलों का खिलना, हवाओं का बहना। लेकिन हम इतने अकारण नहीं है, इसीलिए कठिनाई होती है समझने में, हम तो कारण से जीते है। किसी को प्रेम भी करते है तो भी कारण से करते है। ध्यान रहे, जब तक आपकी जिंदगी में बिका कारण के कुछ करने का जन्म न हो, तब तक धर्म का जन्म का जन्म नहीं होगा। कारण से पैदा हुआ धर्म झूठा है, उसमें बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है।

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