कोरोना वायरस का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर रहे जम्मू कश्मीर में इससे स्वस्थ होने की दर 45 प्रतिशत है।
श्रीनगर। कोरोना वायरस का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर रहे जम्मू कश्मीर में इससे स्वस्थ होने की दर 45 प्रतिशत है। लेकिन इस महामारी से मुक्त घोषित किये गये मरीज अब भेदभाव से जूझ रहे हैं और कुछ मामलों में तो उन्हें समाज का बहिष्कार भी झेलना पड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर में कोरोना वायरस के 861 मामले सामने आये है। जिनमें से 383 मरीज स्वस्थ हो गये है। जो देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच, प्रतिशत के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में शामिल है।
हालांकि चिकित्सकों द्वारा कोविड-19 से मुक्त घोषित किये गये मरीजों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। स्वस्थ हुए मरीजों में से एक ने कहा कि वह अपने दांत दर्द के इलाज के लिए दंत चिकित्सक के पास गया था। लेकिन चिकित्सक ने उसे देखने से इनकार कर दिया। इस मरीज को स्वस्थ होने के बाद यहां एक अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। उन्होंने कहा पिछले कुछ दिन से मुझे दांत में दर्द हो रहा था। मुझे नहीं पता कि मैं दंत चिकित्सक को कैसे विश्वास दिलाऊं कि मैं कोविड-19 से संक्रमित नहीं हूं। एक अन्य मरीज ने कहा कि उसे स्वास्थ्य अधिकारियों से कुछ दस्तावेज़ प्रमाण की आवश्यकता हो सकती है जो यह प्रमाणित करे कि वह इस वायरस से मुक्त है।
वहीं उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में एक गैस सिलेंडर खरीदा है। जैसे ही उस लड़के को पता चला कि मैं पहले कोविड-19 से संक्रमित था, उसने कई मूर्खतापूर्ण सवाल पूछे। उसने यह भी पूछा कि क्या वह उन नोटों को छू सकता है। जो मैंने उसे दिए थे। कोरोना वायरस से स्वस्थ हुए एक अन्य मरीज ने कहा कि एक निजी दूरसंचार कंपनी के अधिकारियों ने उसके घर पर ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन लगाने से इनकार कर दिया।
बता दें कि इस तरह की घटनाओं ने कोरोना वायरस से स्वस्थ हुए मरीजों को हताश कर दिया है क्योंकि वे अपनी नियमित गतिविधियों को पूरा नहीं कर पा रहे है। इन घटनाओं पर डलगेट में कोविड-19 अस्पताल से जुड़े डा. नवीद नजीर शाह ने इस वायरस से स्वस्थ हो चुके लोगों से भेदभाव नहीं किये जाने की अपील की।शाह ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वस्थ हो चुके रोगियों से समाज द्वारा भेदभाव किया जा रहा है और बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया गया है। कृपया उन्हें सामान्य मानें।