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गौ संवर्धन के क्षेत्र में युवा “दर्शन” की पहल , राठी नसल पर अनूठी क्रांति 

dharshan 1 गौ संवर्धन के क्षेत्र में युवा "दर्शन" की पहल , राठी नसल पर अनूठी क्रांति 

हरियाणा – राजस्थान के बॉर्डर पर  बसे  गांव  डबवाली ,सिरसा  के युवा नौजवान “दर्शन” की कहानी देश के युवाओं के लिए एक मिसाल हैं।  एम.बी.ए  की पढाई पूरी कर किसी मल्टीनेशनल कंपनी  में काम करने से बेहतर अपने देश की देसी गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम को आगे बढ़ने में जुट गया ये युवा।

  वैसे तो पुरे देश में इस वक्त देसी गायों का बोल बाला हैं,क्योंकि देश को समझ आ रहा हैं कि, देसी गाय व विदेशी गायों के दूध में क्या अंतर हैं?

 इसी आलौकिक ज्ञान की समझ को समझते हुए इस युवा दर्शन ने अपने गांव में नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाया है। जिसके तहत साहीवाल , राठी थारपारकर, नस्लों की लगभग 350 गायों पर निरंतर उन्नत  बीज व अच्छे सांडो का प्रयोग करके इनकी नस्ल को सुधारा जा रहा है।

 दर्शन का मानना  हैं की  यदि हमारे पास उन्नत नस्ल के नंदी होंगे तो और   बेहतर गायों की नस्ल तैयार की जा सकेगी इसी के लिए हम  प्रयासरत हैं।

 

darshan 2 गौ संवर्धन के क्षेत्र में युवा "दर्शन" की पहल , राठी नसल पर अनूठी क्रांति 

हम आपको गाय की इसी नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं। जो कृषकों के लिये बेहद उपयोगी है। और इसे बताने के लिए लगातार किसानों को अपने साथ जोड़ने का काम कर रहा है एक हरियाणा का युवा। जिसने एमबीए करने के बाद भी किसानों के हित में एक मुहिम चलाकर किसानों के साथ-साथ गायों को नया जीवन दान दिया है।

देसी गायो के संवर्धन के लिए आये युवा का का नाम दर्शन हैं। दर्शन का मानना हैं कि अपनी देसी गायों को बचाने के लिए युवाओं को आगे आना पड़ेगा ,गाये हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। राठी साहिवाल थारपारकर व हरियाण  नसलो पर से अनुसंधान चला रहे दर्शन ने भारत खबर से बात करते हुए बताया कि, उनका उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का है। इसलिए वो राठी गाय और अन्य गायों की प्रजातियों से लोगों को रूबरू करवाना चाहते हैं।

राठी गाय 21 लीटर से भी ज्यादा का दूध देती है। इसलिए किसानों को इसके बारे में जानना चाहिए। गाय की उपयोगिता का आप अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं। कि गाय के मूत्र और गोबर से कोरोना जैसी गंभीर बीमारी का इलाज तक ढूंढा जा रहा है।

आपको बता दें, राठी गोवंश राजस्थान के उत्तर-पश्चिमी भागों में पाए जाते हैं। इस नस्ल की गाय अत्यधिक दूध देने के लिये प्रसिद्ध है। वयस्क राठी गाय का वजन लगभग 280 – 300 किलोग्राम और बैल का 350-350 किलोग्राम होता है। राठी पशु की त्वचा भूरा व सफेद या काला व सफेद रंगों का मिश्रण होती है और अत्यन्त आकर्षक लगती है।


भारतीय गायों में राठी नस्ल एक महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है। यह गाय प्रतिदन 6 -8 लीटर दूध देती है। कहीं–कहीं इसे 15 लीटर तक दूध देते हुए देखा गया है। राठी नस्ल के बैल बहुत मेहनती होते हैं। इस नस्ल के बैल गरम मौसम में भी लगातार 10 घंटे तक काम करतें हैं। ये रेगिस्तान में भरी-भरकम सामान खींचकर चल सकतें हैं।

इसीलिए हरियाणा में रहकर दर्शन देशहित और किसान हित के लिए गायों पर रिसर्च करके उनके जीवन को सम्बृध बना रहे हैं। दर्शन का मानना है कि, अगर देश में गायों की प्रजातियों पर सही से काम किया जाये तो 4 साल में देश की स्थिति सुधर सकती है। दर्शन कुमार जी राठी , साहिवाल , हरयाणा ,थारपारकर चार तरह की गायों की प्रजातियों के लिए काम कर रहे हैं।
और गौ माता की नस्ल को बचाने के लिए लगातार तत्पर हैं।

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