देहरादून। स्मार्ट सिटी की सूची में जगह बनाने को दून को करीब ढेड़ साल का लंबा इंतजार करना पड़ा था और तीसरे चरण में जाकर दून का चयन हो सका। जून 2017 में जब दून का चयन हुआ तो राज्य सरकार ने लंबे-चौड़े दावे कर रहा था कि दून को स्मार्ट बनाने की कवायद जल्द शुरू की जाएगी। इसके बी तीन-चार माह के बाद स्मार्ट सिटी सीईओ के रूप में आइएएस अधिकारी दिलीप जावलकर को तैनात किया गया और स्मार्ट सिटी का पंचीकरण कराया गया। इस कवायद को भी करीब चार महीने बीत चुके हैं। जबकि अभी तक न तो स्मार्ट सिटी सीईओ को दफ्तर मिल पाया है और न ही बजट का इंतजाम किया जा सका है। अब इस बार स्मार्ट सिटी के लिए दून को केंद्र से 100 कोरड़ रूपये मिलने की भी कोई उम्मीद नहीं है।
बता दें कि स्मार्ट सिटी के सीईओ दिलीप जावलकर का कहना है कि पहले उम्मीद की जा रही थी कि जनवरी महीने तक केंद्र सरकार से पहली किश्त के रूप में 100 करोड़ की राशि मिल जाएगी और इसके बाद राज्य सरकार भी अपने हिस्से में के 100 करोड़ रूपये जारी कर देगी। हालांकि अब वो बात सामने आ रही है कि केंद्र सरकार यह ग्रांट बजटीय प्रावधान के मुताबिक अगले साल में ही जारी कर पाएगी। ऐसे में राज्य सरकार से आग्रह किया गया है कि ग्रांट की प्रत्याशा में फिलहाल 70 करोड़ रूपये जारी कर दिए जाएं क्योंकि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत खर्चे शुरू हो गए हैं। कौलागढ़ रोड पर सीईओ कार्यालय के लिए एक स्थान तलाश गया है। 26 फरवरी को कंसल्टेंट बनने के लिए कंपनियां बिलिंग कर देंगे।
वहीं मार्च महीने के शुरू में चयनित कंसल्टेंट कंपनी को एडवांस के रूप में 2.5 करोड़ रूपये देने होंगे। इसके साथ ही पीएमयू के लिए करीब 30 कर्मियों की तैनाती का विज्ञापन भी जारी कर दिया गया है। शीघ्र इनके साक्षात्कार भी शुरू हो जाएंगे। ऐसे में इनका वेतन भी जारी करना पड़ेगा। हालांकि ये सब तभी हो पाएगा जब स्मार्ट सिटी कंपनी के पास बजट की प्रर्याप्त व्वस्था होगी।