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ये साल बन गया हादसों का सफर, प्रभु की गई थी कुर्सी

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नई दिल्ली। साल 2017 सबसे ज्यादा हादसों का चश्मदीद रहा। रेल हादसों ने इस बार ऐसे रिकॉर्ड बनाए जिसमें सबसे ज्यादा हादसे शामिल थे। रेल हादसों का एक के बाद एक घटित होना लोगों के मन में डर पैदा कर गया। एक रेल हादसे से लोग उबरते थे कि दूसरा रेल हादसे लोगों के मौत को आकड़ों के साथ सामने आ जाता था।

रेल हादसों का सफर कहां से शुरु हुआ ये पता लगाना भी मुश्किल हो गया। दो महीने के भीतर आठ रेल हादसों ने अफसरों की नींद उड़ा दी। बेहतर सुरक्षा प्रणाली के बावजूद दुर्घटनाओं की रफ्तार बढ़ती हरिद्वार से पुरी के बीच चलने वाली कलिंग उत्‍कल एक्‍सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्‍त हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली के पास ट्रेन के 5 डिब्‍बे पटरी से उतर गए। हादसे में कई लोग घायल हो गए और रेल मंत्री ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए।

 

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एक के बाद एक रेल हादसे बढ़ते चले गए। सीतापुर में मालगाड़ी बेपटरी हो गई। रोजा में मालगाड़ी बेपटरी हो गई।बरेली में पैसेंजर ट्रेन उतर गई।भिठौरा में इंटरसिटी बेपटरी हो गई।पटना-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस जब हादसे का शिकार हुई तो कुछ ऐसे लोग भी रहे जिनके लिए यह आखिरी सफर बना। लोगों के गर उजड़ गए। कोई पति खो बैठा तो किसी की मां मर गई। किसी ने अपने बच्चे ही खो दिए। पोस्टमार्टम हाउस के हालात ये थे कि कुछ लोगों के शवों को कंधा देने वाले तक नहीं थे।

एक बड़ा रेल हादसा कानपुर में भी हुआ था, जिसमें पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के हाथ होने की आशंका जताई गई। सवाल ये उठने लगा कि अगर आतंकी साजिश की वजह से इन हादसों को अंजाम दिया गया तो सरकार ने कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया।

रेल सुरक्षा और रेलवे के आधुनिकीकरण को लेकर पिछले कई सालों से अब तक रेल मंत्री कई घोषणाएं कर चुके हैं। इस पर कई कमेटियां भी बन चुकी हैं लेकिन फिर भी रेलवे हादसे रोकने में नाकाम रहा है। देश में ये हालात तब है जब देश की अधिकांश सुपरफ़ास्ट ट्रेनें अभी भी औसतन 90 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। भविष्य में इनकी रफ्तार बढ़ाने की योजना है। जिस तरह से ये हादसे हुए क्या लोग तेज रफ्तार की ट्रेनों में बैठना पसंद करेंगे।

दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक भारत में हर रोज सवा दो करोड़ से भी ज्यादा यात्री सफर करते हैं जबकि 87 लाख टन के आसपास सामान ढोया जाता है। ऐसे में रलेवे की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने यात्रियों और माल की सुरक्षा करें।

आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले में जगदलपुर से भुवनेश्वर जाने वाली हीराखंड एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। इस हादसे में 39 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर आई थी। बुलेट ट्रेन के सपने दिखाने वाली सरकार जब आम दिनों में रेलवे सुरक्षित नहीं कर पा री है तो लोगोंम का भरोसा कैसे जीतेगी।

रेल हादसों के लिए उस वक्त रेल मंत्री सुरेश प्रभु पर सवाल उठाए गए। हर तरफ प्रभु-प्रभु चिल्लाए जाने लगा इसके चलते सुरेश प्रभु से उनका विभाग छीनकर पीयूष गोयल को दे दिया गया। गोयल के हाथ में मंत्रालय आने के बाद भी रेल हादसे नहीं रुके।

गोयल के हाथ में कमान आने के बाद भी हादसों ने थमने का नाम नहीं लिया। 12 घंटों के भीतर 3 रेल हादसों ने गोयल की नींद उड़ा दी। बैठक में रेलमंत्री ने साफ किया कि पुराने पड़ चुके ट्रैक को बदलने और नई पटरियां बिछाने का कार्य तेज किया जाए ताकि ट्रेन परिचालन की क्षमता बढ़ सके। बैठक में रेलमंत्री ने अफसरों से कहा है कि कोहरे के लिए अभी से ही तैयारी की जाए और सभी ट्रेनों के इंजनों में कोहरा रोधक एलईडी लाइटें लगायी जा सकें ताकि कोहरे के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित तरीके से चलाया जा सके।

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