तेहरान। विवादो के बीच घिरा ईरान का चाबहार बंदरगाह ने आज से काम करना शुरू कर दिया है, ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी ने इसका उद्घाटन किया। इस मौके पर भारत ईरान और अफगानिस्तान समेत कई देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। आपको बता दें कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रूस से लौटते वक्त तेहरान पहुंचकर इस परियोजना की समीक्षा की थी। स्वराज ने आपसी हितों के मुद्दे पर अपने ईरानी समकक्ष डॉ जावेद जरीफ से मुलाकात कर इस परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर चर्चा की क्योंकि इसमें भारत के अहम साझेदार है। देखा जाए तो चाबहार भारत के लिए सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजना है। एक महीने पहले भारत नो ईरान से चाबहार बंदरगाह के जरिए समुद्र से अफगानिस्तान को गेहूं की पहली खेप भेजी थी।
इस परियोजना के शुरू होने को पाकिस्तान ने दरकिनार कर तीनों देशों के बीच महत्वापूर्ण रणनीतिक मार्ग के संचालन का महत्वापूर्ण कदम माना जा रहा है। गौरतलब है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा खाड़ी देशों में क्षेत्रियां स्थिति और राजनीतिक घटामाक्रमों पर भी चर्चा की।वहीं, विदेशमंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, यह तकनीकी ठहराव था और स्वराज का अपने ईरानी समकक्ष से बातचीत पूर्व निर्धारित नहीं थी। बता दें कि भारत ने चाबहार में करीब 10 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। इसके साथ ही 50 करोड़ डॉलर की और मदद का आश्वासन दिया है।
इस परियोजना के भारत के लिए खास मायने हैं।इसके पूरा होने से भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच सीधा संपर्क हो जाएगा। साथ ही भारत मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप तक सामान भेज सकता है। अब तक भारतीय माल पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान तक पहुंचता है। चाबहार के खुलने से भारतीय माल न पाकिस्तान के रास्ते की बजाए सीधे मध्य एशिया और यूरोप भेजा जा सकेगा। ऐसे में यह पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान होगा।