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ये है दंगल के असली बापू…..देखिए तस्वीरें

bhagpat kusti 1 ये है दंगल के असली बापू.....देखिए तस्वीरें

बागपत। देश की तरक्की का रास्ता गाँव की पगडंडियों से होकर गुजरता है इन पगडंडियों का भी विकास जरूरी है और उसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत भी है। जिस तरह अभिनेता आमिर खान ने फिल्म दंगल में देश की मिट्टी के दर्द को उकेरा है कुछ वैसे ही गाँव के इस दर्द को महसूस किया जनपद बागपत के बड़ौत तहसील क्षेत्र के दाहा गांव निवासी देशपाल राणा ने जिन्होंने अपने कुश्ती के शौक को पूरा करने के लिए और देश के लिए कुछ कर दिखाने के लिए अखाडा भी तैयार किया है।

bhagpat kusti 2 ये है दंगल के असली बापू.....देखिए तस्वीरें

सुविधाओं की कमी पर खत्म नहीं हुआ जज्बा

गांव की नई-नई प्रतिभाओं को तराशना शुरू कर दिया और सुविधाओं की कमी के बावजूद भी देश विदेश में आयोजित होने वाली कुश्ती प्रतियोगिताओं में ढ़ेरों पदक हासिल किए उसी का नमूना है कि यहीं पर कुश्ती के दाँव पेंच सीखकर देश विदेश में जनपद का नाम रोशन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय पहलवान सुनील राणा ने भी ढेरो पदक हासिल किए और कुछ ही महीनों पहले लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सुनील राणा को यश भारती सम्मान से भी नवाजा है। लेकिन सरकार इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ सकती कि प्रदेश में खेल प्रतिभाओ को एक से बढ़कर एक सुविधाएं मुहैया कराने के दावे तो सरकारें खूब करती है लेकिन असलियत इन सब दावों से कोसों दूर है मिट्टी अखाड़ों में मेहनत के दम पर हम पहलवानों से मेडल की उम्मीद तो करते है लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हे केवल लॉलीपाप ही थमा दिए जाते हैं।

bhagpat kusti 1 ये है दंगल के असली बापू.....देखिए तस्वीरें

जनपद बागपत के हालात तो कम से कम ऐसे ही हैं कि यहाँ पर कई पहलवानों ने बिना सुविधाओं के ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचकर जनपद बागपत और देश का नाम रोशन किया आखिर कब तक माटी से महारथी बनने की उम्मीद की जाती रहेगी और कब तक सुविधाओं के अभाव में बागपत के खिलाड़ी पिछड़ते रहेंगे ये सोचने वाली बात होगी।

अजय कुमार, संवाददाता

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