featured यूपी हेल्थ

Exclusive:कोरोना काल में ये हाल वेंटिलेटर तो है लेकिन चलाने वाले नही है, नतीजा हो रही मौत

यूपी 20 2 Exclusive:कोरोना काल में ये हाल वेंटिलेटर तो है लेकिन चलाने वाले नही है, नतीजा हो रही मौत
लखनऊ:कोरोना के कहर बीच वेंटिलेटर के लिए भागदौड़ और इंतजार के बीच मरीजों की जान जा रही है। शहर के सरकारी अस्पतालों में रखे वेंटिलेटर शो केस का काम कर रहे है। इसका भुगतान मरीजो को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है। लापरवाही का आलम ये है कि अस्पतालो में दो साल से वेंटिलेटर तो है लेकिन वो चल नही रहे। कही मैनपॉवर की कमी है, कहीं वेंटिलेटर को धूल खा रहे है।इतना ही नही मेडिकल कारपोरेशन की लापरवाही का आलम ये है मांग के बाद भी जरूरी संसाधन उन्हें नही मिल रहा है।
वेंटिलेटर ना मिलने की वजह से हो रही मौत
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने के बाद कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत में भी भारी इजाफा हुआ है। हालात ऐसे हैं कि L2 लेवल के अस्पतालों में  लेवल थ्री के मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। लेवल 3 हॉस्पिटलों में जगह नहीं होने की वजह से level-2 के अस्पतालों में ही मरीजों को इलाज किया जा रहा है। इसकी वजह से कई ऐसे गंभीर मरीज जिनको वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता रहती है। उन्हें समय पर वेंटिलेटर उपलब्ध ना होने की वजह से इलाज नहीं मिल पा रहा। नतीजा उनकी मौत हो रही है।
यह है जिला अस्पतालों का हाल
राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर है। हालात ऐसे हैं कि कहीं पर वेंटीलेटर उपलब्ध है तो चलाने वाले नहीं और यदि कहीं पर चलाने वाले उपलब्ध है तो वेंटिलेटर नहीं है। इसकी वजह से राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में आने वाले गंभीर कोरोना के मरीजों को इलाज समय पर नहीं मिल पाता और उनकी मौत हो रही है।
सिविल अस्पताल नहीं मिला मॉनिटर
पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) में नवजातों के इलाज के लिए तीन साल पहले 8 वेंटिलेटर खरीदे गए थे। अब तक इन्हें इंस्टॉल नहीं किया गया है। लिहाजा, हर महीने पंद्रह से बीस मरीजों को वेंटिलेटर के लिए केजीएमयू रेफर किया जाता है। इस बारे में अस्पताल केमुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नंदा का कहना है की ड्रग कारपोरेशन को मॉनिटर की सूची भेजी जा चुकी है लेकिन अभी कोई जवाब नही। हमारे डॉक्टर और नर्स की ट्रैनिंग कब की पूरी हो चुकी है।
बलरामपुर अस्पताल में  स्टाफ ही नहीं 
बलरामपुर अस्पताल में चार वेंटिलेटर हैं, लेकिन इन्हें चलाने के लिए स्टाफ नहीं है। इस कारण यहां मरीजों को वेंटिलेटर की सुविधा नहीं मिल रही। यहां आने वाले गंभीर मरीजों को तुरंत केजीएमयू रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल के सीएमएस डॉ. आर के गुप्ता ने बताया कि शासन को पत्र लिखकर वेंटिलेटर चलाने के लिए डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की मांग की गई है।
लोकबंधु हॉस्पिटल 
आशियाना स्तिथ लोकबंधु हॉस्पिटल में पिछले 8 महीनों से चार वेंटिलेटर कमरे में बंद पड़े है। इन वेंटिलेटर को 8 महीने पूर्व लोहिया अस्पताल से लोकबंधु भेजा गया था ये मौजूद समय बंद पड़े है। जो बंधु अस्पताल कॉर्बेट संक्रमित मरीजों के लिए बनाया गया है लेकिन यहां पर भी वेंटिलेटर उपलब्ध होने के बावजूद वरना संक्रमित मरीजों के इलाज में उपयोग नहीं हो रहे हैं इसकी वजह से खोलना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है।
जिम्मेदार बोले-  जल्द दुरुस्त होंगी व्यवस्थाएं
इस पूरे मामले पर जब हमने उत्तर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के महानिदेशक डॉ डीएस नेगी से बातचीत करी तो उन्होंने बताया कि राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है  इसके साथ-साथ हम प्रयास कर रहे हैं कि लेवल 3 के अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए और वेंटीलेटर जैसी मूलभूत सेवाएं भी दुरुस्त हो। जिससे कि लोगों को बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाए।

Related posts

CORONA UPDATE : 24 घंटे में कोरोना के 8263 नए मरीज आए सामने, लगातार बढ़ता जा रहा है आंकड़ा

Rahul

टीम इंडिया को लगा झटका, चोट के कारण टेस्ट मैच से बाहर हुए केएल राहुल

Rahul

Monsoon Session: विपक्ष का जोरदार हंगामा, संसद के दोनों सदन कल तक के लिए स्थगित

pratiyush chaubey