नई दिल्ली: दिल्ली के एम्स अस्पताल में विराट व्यक्तित्व, कवि, पत्रकार, प्रखर वक्ता, स्टेटमैन और महान शख्सियत वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आखिरी सांस ली। लंबी बीमारी के बाद 93 साल की उम्र में वाजपेयी का निधन हो गया था। आज हम आपको बताते हैं मुश्किलों की घड़ी में लिए गए किन फैसलो ने पूर्व प्रधानमंत्री को ‘अटल’ बनाया था।
चंद्रमिशन चंद्रयान
15 अगस्त 2003 को अटल ने देश के पहले चंद्रमिशन ‘चंद्रयान-1’ की घोषणा की, जिसे 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया। इसका काम चांद की परिक्रमा कर जानकारियां जुटाना था। इस यान ने चांद पर पानी खोजा, जो इसरो की सबसे बड़ी सफलता मानी गई थी।
राजधर्म
गुजरात दंगों के दौरान तब सीएम रहे नरेंद्र मोदी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में साथ बैठकर बयान दिया- मोदी राजधर्म निभाएं। ये बयान इसलिए अहम था, क्योंकि दंगों के दौरान सरकार की भूमिका सवालों में थी। दूसरी ओर, जब पूरी भाजपा अयोध्या में बाबरी विध्वंस का जश्न मना रही थी तो अटल ने खुदको इससे अलग रखा। अपनी पार्टी के समर्थन में कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया।
संसद हमला
दिसंबर 2001 में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद भवन पर हमला कर दिया था। आतंकियों सहित 12 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद वाजपेयी जी ने कड़ा फैसला लेते हुए सीमा पर 5 लाख सैनिकों की तैनाती की। सभी लड़ाकू विमान और जंगी जहाज को तैयार किया गया ताकि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। सीमा पर यह तनातनी 6 महीने तक जारी रही। दोनों देश युद्ध की दहलीज पर खड़े थे। जिसकी वजह से अमेरिका ने हस्तक्षेप किया और मुशर्रफ को समझाया कि वह भारत के साथ बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाए।
समग्र संवाद
2004 में वाजपेयी औऱ मुशर्रफ इस्लामाबाद में सार्क देशों के शिखर सम्मेलन से पहले मिले। पहली बार आधिकारिक तौर पर मुशर्रफ ने कहा कि वह अपने देश की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को भारत के खिलाफ नहीं करने देंगे।
आगरा शिखर सम्मेलन
जुलाई 2001 में वाजपेयी और मुशर्रफ दो दिनों के लिए आगरा में मिलेष दोनों यहां परमाणु हथियारों को कम करने, कश्मीर मसले और सीमापार आतंकवाद जैसे मामलों पर बातचीत करने के लिए मिले थे। लेकिन यह बातचीत तब खत्म हो गई मुशर्रफ ने भारतीय संपादकों को बताया कि कश्मीर अकेला मुद्दा था और भारत ने उसके मसौदे को खारिज कर दिया है।