नई दिल्ली,। भारत सरकार ने भारत-सिंगापुर के बीच दोहरे कराधान को लेकर आ रही परेशानियों को दूर कर दिया है। इस संबंध में भारत-सिंगापुर दोहरा कराधान निवारण समझौते (डीटीएए) में संशोधन करने वाला तीसरा प्रोटोकॉल 27 फरवरी, 2017 से प्रभावी हो गया है। इस पर 30 सितम्बर, 2016 को हस्ताक्षर किये गये थे। इसे गुरुवार को सरकारी राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया है।
भारत-सिंगापुर डीटीएए में फिलहाल किसी कंपनी के शेयरों के पूंजीगत लाभ पर निवास आधारित कराधान का प्रावधान है। तीसरे प्रोटोकॉल में 1 अप्रैल, 2017 से डीटीएए में संशोधन किया गया है, ताकि किसी कंपनी के शेयरों की बिक्री से प्राप्त होने वाले पूंजीगत लाभ पर स्रोत आधारित कराधान सुनिश्चित किया जा सके। इससे राजस्व के नुकसान पर अंकुश लगेगा और निवेश का प्रवाह सहज होगा।
इसके अलावा 1 अप्रैल, 2017 से लेकर 31 मार्च, 2019 तक की दो साल की संक्रमण अवधि का प्रावधान किया गया है। इस दौरान शेयरों पर प्राप्त होने वाले पूंजीगत लाभ पर टैक्स स्रोत देश में ही लगाया जायेगा, जो सामान्य कर दर का आधा होगा। इसके लिए लाभ की सीमा वाले अनुच्छेद में उल्लिखित शर्तों को पूरा करना जरूरी होगा। तीसरे प्रोटोकॉल के तहत डीटीएए में धारा 9(2) भी जोड़ी गई है, जिससे ट्रांसफर प्राइसिंग मामलों में आर्थिक दोहरे कराधान से राहत मिलेगी।