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लखनऊ की रक्षा करती हैं ये सात माताएं, नवरात्र में कर लें इनके दर्शन

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लखनऊ। राजधानी लखनऊ में वैसे तो विभिन्न माताओं के मंदिर हैं। मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की यहां पूजा की जाती है। लखनऊ में जहां माता भुइयन देवी का मंदिर है तो वहीं दूसरी तरफ विभिन्न शक्तिपीठ हैं।

यहां के बख्शी का तालाब इलाके में माता चंद्रिका देवी की महिमा से कौन नहीं परिचित है। ऐसे में आज हम आपको रूबरू करा रहे हैं मां दुर्गा के सात रूपों से। इनका नाम क्रमश: बड़ी काली माता, संदोहन, मनसा, मसानी, शीतला माता, भुइयन देवी और संकटा माता है।

बड़ी काली माता मंदिर 

सबसे पहले बात करते हैं बड़ी काली मंदिर के बारे में। ये मंदिर अत्यंत ही प्राचीन है और यहां पर माता के दर्शन के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। यह मंदिर लखनऊ के चौक इलाके में बान वाली गली के पास स्थित है। इस मंदिर में माता का आसन बहुत ऊंचा है।

कहते हैं कि कभी इस मंदिर के पास से मां गोमती बहती थीं। लखनऊ की जीवनदायिनी मां गोमती यहां से माता के दर्शन करके अपने वेग से निकल जाती थीं। लेकिन कालांतर में गोमती मैया ने अपना मार्ग बदल लिया। इस मंदिर की स्थापानी आदि शंकराचार्य ने की थी। इसके पुजारी बिहार के गया इलाके के हैं।

परंपरा के अनुसार यहां पर गया के ही पुजारी नियुक्त किए जाते हैं। कहते हैं यहां पर रजत बेदी पर रखी मूर्ति माता लक्ष्मी जी और नारायण श्री हरि विष्णु जी की है। ये मूर्तियां करीब एक हजार साल पुरानी हैं और ये प्राचीन मूर्तियां यहां पर खुदाई के दौरान मिली थीं। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। यहां पर नवरात्र में मेले जैसा माहौल हो जाता है। भक्त दूर-दूर से आकर माता से मन्नतें मांगते हैं।

मनसा देवी मंदिर

यूं तो मनसा देवी की पूजा का विधान सबसे अधिक बिहार और बंगाल में है। लेकिन यूपी में भी मनसा देवी माता को खूब पूजा जाता है। माता मनसा समस्त कष्टों को हरने वाली हैं। माता मनसा नागकुल की अधिष्ठात्री हैं।

इसलिए इन्हें रहस्यमयी माता माना जाता है। लखनऊ में मनसा देवी का मंदिर राजधानी के चौक स्थित नाई बाड़ा रोड के पास में है। अत्यधिक प्राचीन मंदिर होने के कारण इसका भी खूब महत्व है। नवरात्र में यहां का नजारा अत्यंत ही भव्य हो जाता है।

माता संदोहन देवी

माता संदोहन देवी की ख्याति लखनऊ में ही नहीं बल्कि दूर दूर तक है। ये मंदिर लखनऊ का बहुत पुराना मंदिर है। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। कहते हैं कि लखनऊ में कभी सिंधुवन था। इसके पास एक तालाब था। इस तालाब के अवशेष मंदिर के पास आज भी दिखते हैं। इसी तालाब के पास ही संदोहन देवी की मूर्ति मिली थी। लखनऊ के चौपटिया इलाके के पास ये मंदिर है। इस मंदिर के दर्शन करके प्रदेश से दूर दूर से लोग आते हैं।

शीतला माता मंदिर

लखनऊ का शीतला माता मंदिर का भी खास स्थान है। नवरात्रि में माता के दर्शन के लिए लंबी लंबी कतारें लगती हैं। ये मंदिर लखनऊ के टूड़ियागंज इलाके के मेहंदीगंज में स्थित है। कहते हैं कि इस मंदिर को भगवान राम के बेटों लव और कुश ने बनवाया था। यहां से कभी मां गोमती निकलती थीं, जिसका प्रमाण आज भी यहां दिखता है।

यहां पर मंदिर में माता शीतला एक पिंडी के रूप में स्थापित हैं। कहते हैं कि एक बार इस मंदिर का ध्वस्तीकरण हो गया था तब बंजारों ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया है। इसके बाद इस मंदिर में माता शीतला को कश्मीरी ब्राह्मणों ने अपनी कुल देवी मान लिया। तब से कश्मीरी ब्राह्मण आज भी इस मंदिर पर शीश नवाने आते हैं। नवरात्र में यहां मेले जैसा माहौल होता है।

मसानी देवी माता मंदिर

माता मसानी देवी का मंदिर अत्यंत ही प्राचीन है। कहते हैं कि शिव जी अगर श्मशान के देवता हैं तो माता मसानी भी श्मशान की देवी हैं। माता मसानी की ये मूर्ति यहां पर एक कुएं में मिली थी। कहा जाता है कि ये मूर्ति गुप्तकालीन है।

लखनऊ के सहादतगंज क्षेत्र में माता का ये मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में आज भी कौड़ियां चढ़ती हैं। यहां पर माता को लौंग, पान, फूल बताशे से भोग लगाया जाता है। यहां पर पीपल के पेड़ के पास मंदिर का मुख्य द्वार है, जिसपर भगवान गणपति और राजलक्ष्मी उकेरी गई हैं। वहीं मां गंगा की मूर्ति भी यहां स्थापित है जो अपने वाहन मगरमच्छ पर सवार हैं। नवरात्र पर इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है।

माता भुइयन देवी

कहते हैं कि जब लखनऊ का पुराना गणेशगंज बस रहा था तब यहां पर जंगलों के बीच में एक मरघट था। इस मरघट में खोदाई के दौरान यहां पर एक माता की मूर्ति मिली थी। चुंकी ये मूर्ति भूमि से मिली थी इसलिये इस माता की मूर्ति को भूइयन देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। यहां पर शुरू में एक छोटा सा मंदिर था जिसे बाद में भव्य रूप दिया गया।

इस मंदिर की बहुत मान्यता है और लखनऊ के कोने कोने से माता के इस मंदिर के दर्शन करने श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र पर माता के मंदिर पर नजारा एकदम बदल जाता है। यहां पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। कहते हैं कि एक सरदार जी की मनोकामना इस मंदिर में पूजा करने पर पूर्ण हुई थी तो उन्होंने ही यहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण करवा दिया।

माता संकटा देवी

लखनऊ के रानी कटरा के बड़ा शिवाला परिसर में माता संकटा देवी का मंदिर स्थापित है। यहां पर संकटा माता की मूर्ति है तो वहीं कश्मीरी पंडितों की ईष्टदेवी आघा माता की मूर्ति भी यहां पर स्थापित है। कहते हैं कि अवध क्षेश्र में संकटा देवी हर इलाके में मिलती हैं। संकटा देवी हर प्रकार के संकट को हरने वाली माता है।

इनकी मूर्ति के दर्शन से हर मनोरथ की पूर्ति होती है। माता भक्तों को फल देने वाली है। और जो सच्चे मन से माता को याद करता है उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण करती हैं। नवरात्र पर माता जी के मंदिर में पूजा का विशेष विधान होता है। नवरात्र के नौ दिनों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

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