पिछले कुछ सालों में डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार डेंगू एक वायरल इंफैक्शन है जो एडीज मच्छर (प्रजाती) के काटने से डेंगू वायरस फैलता है। जिसमें बुखार के दौरान प्लेटलेट्स कम होना इसका मुख्य लक्षण हैं। हांलाकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता। बुखार के साथ सबसे सामान्य लक्षण है सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और त्वचा का खराब हो जाना है।
डेंगू इंफेक्शन का पता ब्लड टेस्ट के द्वारा लगाया जाता है। इस दौरान आपको सही से आराम करने और बहुत सारे पेय पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है। तो वहीं अंग्रेजी दवाओं के सेवन से अन्य रक्त कोशिकाओं पर भी असर पड़ता है। इस बीमारी से लड़ने में कुछ तेल मददगार साबित हो सकते हैं। सिट्रोनेला ऑयल यानी गंजनी का तेल सिम्बोपोगान की पत्तियों व तने से प्राप्त होता है। सिम्बोपोगान लेमनग्रास की प्रजाति से ही है। यह तेल काफी आसानी से मच्छर के काटने से बचाता है। इसे शरीर पर डॉयरेक्ट लगाने की बजाय आप इसका इस्तेमाल ऑयल डिफयूज़र व बाम के जरिए कर सकते हैं।
वहीं एचीनेशिया तेल डेंगू से लड़ने वाले विषाणु रोधक तत्वों को बढ़ाता है। सर्दी-जुकाम एक संक्रामक रोग है, ऐसे में एचीनेशिया डेंगू से रोकथाम व बचाव करता है। इससे विषाणु रोधक तत्व प्राकृतिक तौर पर उत्पन्न होते हैं जो इम्यून पॉवर को भी बढ़ाते हैं नीम के तेल में साफ करने के गुण होते हैं, ऐसे में इस तेल की 15 से 60 ग्राम डोज को हल्के गीले कपड़े के माध्यम से दिन में 2-3 बार त्वचा पर लगाना चाहिए। प्रैग्नेंसी में इस तेल का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। साथ ही मच्छरों से बचाव के लिए पेपरमिंट का तेल भी काफी असरदार है। इसकी कुछ बूंदें लगाते ही मच्छर 150 मिनट तक नहीं काट सकता। विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली केमिकल क्रीमों से ये तेल कहीं बेहतर है।