लखनऊ: नई शिक्षा नीति के तहत डीएलएड के पाठ्यक्रम में भी संशोधन किया जा रहा है। संस्कृत विषय में कई सुधार करके प्रस्तुत करने की बात कही गयी है। इसका फायदा सभी को शिक्षण के दौरान भी मिलेगा।
स्टेट काउंसिल एजुकेशनल एंड रिसर्च ट्रेंनिंग ने दी जिम्मेदारी
नए पाठ्यक्रम को संशोधित करके प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल एंड रिसर्च ट्रेनिंग ने एक संस्थान को दी है। इसी संस्थान के माध्यम से पूरा पाठ्यक्रम संशोधित होगा। पाठ्यक्रम के निर्माण की गंभीरता को देखते हुए कई विशेषज्ञों से भी सलाह ली जा रही है।
अलग-अलग लोगों से बातचीत करके पूरे कार्य को संपन्न किया जाएगा। डीएलएड में संस्कृत विषय के नए पाठ्यक्रम के जुड़ते ही कई छात्रों को सहूलियत मिलेगी। नया पाठ्यक्रम को बनाने के लिए पुराने वाले को भी जांचा परखा जाएगा, उसकी कमी को सुधारते हुए नया पाठ्यक्रम पेश किया जायेगा।
नई शिक्षा नीति में मातृ भाषाओं को मिलेगी सहुलियत
नई शिक्षा नीति को देश में जल्द ही लागू किया जाएगा। इसमें मातृभाषा को विशेष महत्व दिए जाने की बात कही गई है। सभी छात्र अपनी भाषा में ही आगे की पढ़ाई कर पाएंगे। इसके साथ ही शिक्षा के माध्यमों में चौमुखी विकास को प्रमुखता से रखा जाएगा।
राज्य हिंदी संस्थान करेगा संशोधन
डीएलएड का कोर्स करने वाले को प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने का मौका मिलता है। शिक्षकों का प्रशिक्षण बेहतर तरीके से होगा, इसके लिए पाठ्यक्रम में उचित बदलाव किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के हिसाब से इनके पाठ्यक्रम में भी परिवर्तन किया जाएगा। इसीलिए संस्कृत विषय में भी कई बदलाव करने की योजना है। जिसे राज्य हिंदी संस्थान के माध्यम से किया जाएगा।