नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को आज 37वां दिन है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के चारों ओर डेरा डाले हुए हैं। इसके साथ ही किसान आंदोलन के समर्थन में देश के अलग-अलग हिस्सों से लोग दिल्ली कूच कर रहे हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच सात दौर की वार्ता हो चुकी हैं, लेकिन कृषि कानूनों को लेकर कोई खास नतीजा नहीं निकला पाया। इसके साथ ही सरकार और किसान इस मसले को सुलझाना चाहते हैं लेकिन वार्ता के दौरान कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल पाता है। जिसके चलते आज फिर किसान संगठनों के बीच दोपहर 2 बजे बैठक होगी। जिसमें आगे की रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही किसान संगठनों ने बहरहाल 4 जनवरी तक आंदोलन तेज न करने का ऐलान किया है।
आने वाले दिनों में संघर्ष तेज होगा-
बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन दिनों दिन उग्र होता जा रहा है। सरकार भी कृषि कानूनों को वापस न लेने के मूड में है। जिसके चलते सिंघु बॉर्डर पर आज दोपहर 2 बजे किसानों की बैठक होगी। इस बैठक में सरकार से अगले दौर की बातचीत और आंदोलन को लेकर रणनीति पर चर्चा होगी। इसके बाद शाम पांच बजे किसान संगठनों के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा, “तीन कृषि कानून रद्द होने चाहिए, अगर 4 जनवरी को इसका कोई हल नहीं निकलता तो आने वाले दिनों में संघर्ष तेज होगा। इसके साथ ही कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन से खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में आपूर्ति व्यवस्था बाधित होने से दिसंबर तिमाही में 70 हजार करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होगा। उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स ने ये जानकारी दी।
तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए- किसान नेता
वहीं किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है। मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए।