देश में कोरोना की की दूसरी लहर में हुई मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि दूसरी लहर में कोरोना की वजह से होने वाली मौतें चिकित्सकीय उपेक्षा के कारण हुई। ऐसा कहते हुए कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया कि जिसमें ऑक्सीजन और कोरोना से जान गवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की गई थी। याचिका दीपक राज सिंह की ओर से दायर की गई थी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अधिकारियों के पास जाकर अपनी बात रखे।
बता दें कि कोर्ट ने कहा कि ऐसा कहना सही नहीं हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में इलाज की लापरवाही से मौतें हुई है। ऐस तरह की याचिका दायर करना ठीक नहीं है। कोर्ट ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता। कोर्ट ने उन मामलों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने खुद संज्ञान लिया है। कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी में सभी पक्षों को देखने के बाद नेशनल टास्क फोर्स बनाई गई थी।
वहीं पीठ ने यह भी कहा कि शीर्ष कोर्ट ने कोरोना से पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने के लिए 30 जून को आदेश भी जारी किया था। अपने 30 जून के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का एक वैधानिक दायित्व है कि वह कोरोना महामारी के पीड़ितों के लिए न्यूनतम अनुग्रह सहायता की सिफारिश करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करें।
वहीं इसके बाद याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि उस फैसले में अदालत ने मानवता के संबंध में विचार किया है न कि लापरवाही के कारण। सरकार अभी तक नीति के साथ सामने नहीं आई है। यदि आपके पास उस नीति के कार्यान्वयन के संबंध में कोई सुझाव है, तो आप सक्षम प्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।