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पौष्टिक आहार न मिलने से प्रतिरोधक क्षमता होती है कम, बढ़ता है टी.बी का खतरा

tuberculosis tb desease पौष्टिक आहार न मिलने से प्रतिरोधक क्षमता होती है कम, बढ़ता है टी.बी का खतरा
  • शशिकान्त ( वरिष्ठ पत्रकार लखनऊ )

लखनऊ। संभल का 23 वर्षीय लोकेश दिल्ली में सिलाई का काम करता है। लोकेश दिखने में ही काफी कमजोर है और गंभीर किस्म की टी.बी का उपचार करवा रहा है। उसने बताया कि 2018 में उसको बहुत खांसी आई तो वह अपने गांव अबुनगर लौट आया जहां पर सात महीने तक टी.बी का इलाज करवाया। ठीक होने के बाद वह फिर दिल्ली लौट गया और काम करने लगा।

डॉक्टर ने उसे पौष्टिक आहार लेने की हिदायत दी थी लेकिन पैसा न होने के कारण वह नहीं खा सका। कुछ समय बाद उसे फिर खांसी आने लगी तो वह दोबारा गांव लौट आया और इस बार उसे एम.डी.आर टी.बी यानि मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी है। सरल भाषा में कहें तो टी.बी के उपचार के लिए दी जाने वाली कई दवाओं का उस पर असर नहीं होगा।

कुछ ऐसी ही कहानी है 55 वर्षीय नत्थू की भी। नाथू का वजन मात्र 40 किलोग्राम है। वह इतने कमजोर हैं कि अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो सकते। टांगें बहुत पतली हैं और गाल धंसे हुए हैं। उनका हीमोग्लोबिन लेवल मात्र 7 ग्राम है और वह एम.डी.आर टीबी से जूझ रहे हैं।
खेती करने से जो कमाई होती है उससे घर का चूल्हा जलता है। संभल के रहने वाले नत्थू कहते हैं, ‘जिंदगी गुजर गई रोटी के इंतजाम में। हम लोग फल, मेवा क्या जानें। एक तो पैसा नहीं दूसरे गांव से 10 किलोमीटर दूर जाने पर फल मिलता है।’

लोकेश और नत्थू जैसे संभल और आसपास में सैकड़ों टी.बी के ऐसे मरीज हैं जिन्हें अगर पौष्टिक आहार मिला होता तो शायद टी.बी से न जूझ रहे होते। विशेषज्ञों के मुताबिक पौष्टिक आहार में कमी होना, टी.बी के कारणों में से एक है। अगर मनुष्य में प्रतिरोधक शक्ति कम हो तो टी.बी के बैक्टीरिया असर करना शुरू कर देते हैं। खराब वेंटीलेशन, सघन आबादी, कम स्वछता वाले और प्रदूषित जगहों में टी.बी के मरीज ज्यादा पाए जाते हैं। धूम्रपान को भी एक कारण माना जाता है।

टी.बी का इलाज हो सकता है और यह सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दिया जाता है। उपचार के साथ-साथ मरीजों को अब 500 रुपए प्रति माह दिए जाते हैं जिससे वह पौष्टिक आहार ले सके। भर्ती मरीज़ के एक तीमारदार को दो वक़्त का खाना और नाश्ता भी सरकार द्वारा दिया जाता है। सरकार ने 2025 तक टी.बी को देश से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
-डॉ. संतोष गुप्ता, स्टेट टी.बी अधिकारी, लखनऊ

मुरादाबाद जिला अस्पताल के टी.बी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीन शाह के मुताबिक जामा मस्जिद इलाके और मोतीबाग में टी.बी के मरीज बहुतायत में पाए जाते हैं। इन इलाकों में पीतल की ढेरों भट्टियां है। यहां पीतल और स्टील की पालिश का काम खूब होता है जिससे पूरे इलाके में मसाला उड़ता है जो बड़ों के साथ बच्चों को भी टी.बी से संक्रमित करता है।

मुरादाबाद में इस समय ई वेस्ट मैनेजमेंट का काम भी जोरों पर चल रहा है। मोबाइल के खराब पुर्जों के ई मैनेजमेंट से निक्कल और क्रोमियल जैसी धातु निकलती है जो पास रहने वालों के लिए दिक्कत का सबब है। मुरादाबाद के साथ संभल, अमरोहा, रामपुर, हापुड़ में भी मिलते-जुलते हालात हैं। आगरा, अलीगढ़, मेरठ और गाजियाबाद में टी.बी के मरीज बढ़ने के लिए सघन आबादी को भी बड़ा कारण बताया गया है। लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में भी कारण वहीं हैं।

जागरूकता में कमी

डॉ. प्रवीन शाह के मुताबिक टी.बी के लिए मरीज भी कुछ हद्द तक जिम्मेवार हैं। बहुत मरीज ऐसे होते हैं जो खांसी आते ही ताकत देने वाला आहार खाना छोड़ देते हैं जिससे उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और मरीज पर टी.बी का बैक्टीरिया असर करता है। उन्होंने बताया कि एक महीने टी.बी की दवा खाने पर मरीज को बुखार आना बंद हो जाता है और डेढ़ महीने बाद भूख लगने लगती है। मरीज समझता है कि उसकी बीमारी ठीक हो गई और वह दवा खाना छोड़ देता है। उसके परिवार के लोग भी उसे दवा छोड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। पूरी दवा न लेना एम.डी.आर टी.बी का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।

कैसे होती है ट्यूबरक्लोसिस

यह बीमारी संचारी होती है। जिस व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उसपर ज्यादा असर करती है। सामान्यत: यह बीमारी फेफड़ों और पेट में होती है लेकिन कई बार हड्डियों, दिमाग और स्पाइन में इसका बैक्टीरिया पहुंच जाता है।

क्या है एम.डी.आर टीबी

पहली बार टी.बी होने पर दवा का पूरा कोर्स न करने पर उस शख्स को एम.डी.आर टी.बी हो जाती है। इसका मतलब यह हुआ कि उस मरीज को अब टी.बी में दी जाने वाली कई दवाएं काम नहीं करती हैं।

…और एक्स.डी.आर टी.बी

एक्स.डी.आर यानि एक्सटेंसिव ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी उस स्थिति को कहते हैं जब टी.बी के मरीजों को टी.बी की ज्यादातर दवाएं काम करना बंद कर देती हैं। यह टी.बी का भयानक रूप है।

सरकार से मुफ्त मिलने वाली सुविधाएं

  • एक्स रे और सभी लैब टेस्ट
  • बलगम जांच
  • दवा का पूरा कोर्स

यू0पी के शीर्ष प्रभावित जिले

जनपद 2018 2019 (जनवरी से अप्रैल)
(इंडिया टी बी रिपोर्ट) (जिला टी.बी कार्यालय, मुरादाबाद)
  • लखनऊ 10561 7242
  • कानपुर नगर 8758 5987
  • इलाहाबाद 7651 5310
  • आगरा 3933 5299
  • मथुरा 3960 5069
  • अलीगढ़ 6391 5064
  • बरेली 7422 4775
  • गाजियाबाद 9120 4475
  • मेरठ 6945 4278
  • वाराणसी 4395 3836
  • मुरादाबाद 4252 3022

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