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देश में मौजूद एक ऐसा मंदिर जहां आज भी राधा-कृष्ण रचाने आते है रासलीला..

radha krishn 1 देश में मौजूद एक ऐसा मंदिर जहां आज भी राधा-कृष्ण रचाने आते है रासलीला..

भगवान श्री कृष्ण के चाहने वाले सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी मौजूद हैं। यही कारण है कि, कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में पर्यटकों का हर मौसम में तांता सा लगा रहता है।

Nidhivan Temple देश में मौजूद एक ऐसा मंदिर जहां आज भी राधा-कृष्ण रचाने आते है रासलीला..
लेकिन क्या आप जानते हैं मथुरा में एक ऐसा मंदिर है जहां पर आज भी भगवान कृषण राधा के साथ रासलीला रचाते हैं।

आपको बता दें, वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है।

यह भी माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण रोज रात को खुद शयन करने आते हैं।
उनके सोने के लिए मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं और जिस पर साफ-सुधरी गादी एवं बिस्तर के ऊपर चादर बिछाते हैं।

लेकिन कहते हैं कि जब मंदिर खुलता है तो उस बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि उसे देखकर लगता है कि यहां कोई सोया था।

सबसे आश्‍चर्य की बात यह भी कि यहां प्रतिदिन माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाया जाता है और जो बच जाता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है, लेकिन सुबह तक वह प्रसाद भी समाप्त हो जाता है।

लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर के दरवाजे रात में अपने आप बंद हो जाते हैं इसलिए मंदिर के पुजारी अंधेरा होने से पहले प्रसाद और पलंग का इंजजाम करके रखते हैं और रात की अंतिम आरती के बाद चले जाते हैं।

रात में यहां कोई भी नहीं रुकता है। स्थानीय लोगों के अनुसार ऐसा बरसों से होता आ रहा है।
कुछ लोग इसे अंधविश्‍वास मानते हैं और कुछ लोग इसे श्रीकृष्‍ण का चमत्कार। हालांकि सच क्या है यह आज तक किसी को नहीं पता।

हालांकि सच ये हैं कि निधिवन में श्रीकृष्ण राधा का एक ऐसा मंदिर है जहां राधा और कृष्ण के शयन करने की मान्यता है। मान्यता अनुसार इस मंदिर को तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा−कृष्ण के युग्म रूप को साक्षात प्रकट किया था। यहां कृष्ण और राधा विहार करने आते थे। यहीं पर स्वामीजी की समाधि भी बनी है।

शाम के बाद यह मंदिर बंद हो जाता है और यह भी कहा जाता है कि अगर यहां कोई छुपकर रासलीला देखता है तो वह अगले दिन पागल हो जाता है।

कहते हैं कि यहां तुलसी के दो पौधे एक साथ लगे हैं। रात के समय जब राधा और कृष्ण रास रचाते हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नाचते हैं।

इन तुलसी का एक भी पत्ता यहां से कोई नहीं ले जाता है। जिसने भी गुपचुप यह कार्य किया वह भारी आपदा का शिकार हो जाता है।

इस मंदिर के परिसर में उगने वाले पेड़ भी अजीब है। यहां के पेड़ की शखाएं नीचे की ओर बढ़ती है।

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आपको जानकर हैरानी होगी कि, यहां पर जो घर बने हुए हैं वहां पर एक भी खिड़की नहीं है। रात के समय में इस स्थान को कोई नहीं देखता है।

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