जयपुर। राजस्थान विधानसभा में 12 उम्र से कम आयु की लड़की के साथ रेप करने वाले को फांसी की सजा दिए जाने के सरकार के फैसले को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। सरकार ने इस विधेयक को विधानसभा के पटल पर रख दिया है। राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने दंड सहिंता राजस्थान संसोधन विधेयक-2018 को विधानसभा के पटल पर चर्चा के लिए रख दिया है, जिसको लेकर शुक्रवार को चर्चा होगी और इसे पारित कर दिया जाएगा। इसके बाद इस राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। वसुंधरा सरकार ने मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के फांसी देने के कानून को अपने राज्य में लागू करने का मन पहले ही बना लिया था।
दरअसल वसुंधरा सरकार के ध्यान में आया है कि बालिकाओं से दुष्कर्म एवं सामूहिक दुष्कर्म के अपराध बार-बार हो रहे हैं। ऐसे अपराध जघन्य हैं और पीड़िता के जीवन को नर्क बनाने वाले हैं इसलिए समाज और सरकार की ये प्राथमिकता बनती है कि वो इन अपराधों पर रोक लगाने के लिए सख्त से सख्त कानून लाए। ऐसे अपराधों से कठोरतापूर्वक निपटना आवश्यक हैं। राज्य सरकार की मंशा है कि 12 साल तक की उम्र की बालिकाओं को ऐसे अपराधों से संरक्षण प्रदान किया जाए। आईपीसी की धारा 1860 में एक नई धारा 376 कक जोड़ी जाना प्रस्तावित है।
इसके जरिए सरकार ने 12 साल तक की बालिका से जो कोई दुष्कर्म करेगा उसे मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही कठोर कारावास का प्रावधान होगा जो 14 साल से कम का नहीं होगा और जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा। यह जीवनकाल तक होगा। आईपीसी में इसी प्रकार 376 घघ भी यह उपबंध किए जाने के लिए प्रस्तावित है। इसमें 12 साल तक की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अपराध का दोषी माना जाएगा। वह फांसी से या कठोर कारावास से जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी। जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी।