नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ऑडियों-वीडियों रिकॉर्डिंग को लेकर दायर याचिक पर सुनावाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक डॉक्टर से उसकी डॉक्टरी का प्रमाण मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर बनने के बाद कानून की पढ़ाई करने वाले एक छात्र से उसके डॉक्टरी ज्ञान की परीभाषा मांगी। जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिल्ली विश्विद्यालय के लॉ कैंपस के छात्र डॉ सुभाष से पूछा की पैरासिटामोल टैबलेट काी शरीर पर क्या असर पड़ता है? कोर्ट के इस सवाल पर सुभाष ने कहा कि ये दवाई लिवर और माइटोकॉन्डि्रया के साथ रिएक्ट कर शरीर का तापमान कम करती है।
इसके अलावा कोर्ट ने याचिककर्ता से पूछा कि किडनी प्रत्यारोपण पर शरीर किस प्रकार रिएक्ट करता है और शरीर में एंटिबायोटिक्स का क्या असर होता है? इस सवाल का जवाब जब सुभाष नहीं दे पाए तो जस्टिस मिश्रा ने कहा कि किडनी प्रत्यारोपण कराने वाले मानव शरीर पर न्यूरल रिएक्शन के बारे में शोध हो रहे हैं। उन्होंने विजयरन से उन शोध- पत्रों को पढ़ने को कहा। विजयरन ने अपनी याचिका में विधि छात्रों के लिए अदालती कार्यवाही की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग तथा केस की पूरी फाइल उपलब्ध कराने को सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इससे छात्रों को समग्र और प्रायोगिक ज्ञान मिलेगा जिससे थ्योरी और प्रैक्टिकल के अंतर को पाटा जा सकेगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कानून के इस छात्र द्वारा तैयार याचिका की ड्राफ्टिंग की सराहना करते हुए कहा कि इस मामले में कई याचिकाएं दायर हुई हैं और वह इन पर विचार करेगा। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा तथा जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पहले तो डॉ. सुभाष विजयरन की याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए उसे वापस लेने को कहा।उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि भारत में लॉ कॉलेज विधि स्नातक (लॉ ग्रैजुएट) पैदा करते हैं न कि लॉयर्स लॉ ग्रैजुएट को एक वकील बनने में वर्षों लग जाते हैं।