नई दिल्ली। वन कानूनों का धड़ल्ले से उल्लंघन होने का आरोप लगाने वाली याचिका पर एक निगरानी समिति ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया है कि हरिद्वार वन मंडल में हुए अवैध निर्माण को तीन माह के भीतर हटाया जाएगा। पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी की अगुवाई वाली निगरानी समिति ने एनजीटी को बताया कि चुनाव आचार संहिता के कारण अतिक्रमणकारियों को हटाने संबंधी कार्रवाई में कुछ देरी हुई है।
समिति ने एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ से कहा,‘‘अतिक्रमण की अब कोई नयी घटना नहीं हुई है और कुछ अतिक्रमण हटाए गए हैं। कुछ मामलों में अतिक्रमण हटाने के आदेश हो चुके हैं अथवा अन्य कार्रवाइयां लंबित हैं। अतिक्रमण हटाने की शेष कार्रवाई तीन माह के भीतर पूरी की जानी है।’’
एनजीटी ने अब तक की गई कार्रवाई की स्थिति और इस पर अनुशंसाओं पर निगरानी समिति से 30 नवंबर तक अंतिम रिपोर्ट मांगी है। अधिकरण ने निगरानी समिति गठित की है जिसमें न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी, देहरादून के प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन तथा अन्य शामिल हैं। गौरतलब है कि एनजीटी पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली कार्यकर्ता गौरी मऊलेखी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने श्यामपुर रेंज में हरिद्वार वन मंडल में अवैध निर्माण होने का आरोप लगाया था।