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लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर बनने की कथा है दिलचस्प, इस तरह से हुआ निर्माण

हनुमान सेतु मंदिर की महिमा है निराली

लखनऊ। हनुमान जयंती पर लखनऊ में तरह तरह के आयोजन होते हैं। इस बार भी पवनसुत रामभक्त हनुमान जी की जयंती पूरे लखनऊ क्षेत्र में धूमधाम से मनाई जाएगी। कहते हैं कि लखनऊ को लक्ष्मण जी ने बसाया था लेकिन यहां पर इस शहर को शक्ति और पराक्रम हनुमान जी ने दिया था। लखनऊ का हनुमान सेतु मंदिर पूरे अवध क्षेत्र में विख्यात है।

बाबा नीब करौरी ने स्थापित की थी मूर्ति

इस मंदिर का निर्माण नीब करौरी बाबा ने करवाया था। बताते हैं कि यहां पर नदी के तट पर पहले मौनानंद बाबा का आश्रम हुआ करता था। पास में ही तट पर बने मंदिर में बाबा नीब करौरी रहा करते थे। बाबा ने ये यहां पर रहते हुए रामभक्त अंजनीपुत्र हनुमान जी की भव्य मूर्ति की स्थापना करवाई थी। वो ही मूर्ति आज भी हनुमान सेतु मंदिर में स्थापित है।

1960 में आई बाढ़ से हुआ था काफी नुकसान

कहते हैं कि 1960 में यहां पर बाढ़ आई थी इससे मंदिर को काफी क्षति पहुंची थी और आश्रम भी क्षतिग्रस्त हो गया था, वहीं गोमती नदी के ऊपर बना पुल भी बह गया था। इसके बाद हनुमान सेतु पर बने पुल को दोबारा बनाने का प्रयास किया गया था लेकिन पुल का पिलर नदी में रुक नहीं रहा था। इसके बाद लोगों के मशविरे पर मुंबई के इंजीनियर एसबी जोशी ने बाबा नीब करौरी से मदद मांगी। बाबा का इशारा मिलते ही दोबारा पुल का निर्माण शुरू कराया गया। इससे पिलर आराम से नदी में रुक गया और इस प्रकार गोमती नदी का पक्का पुल तैयार हो गया।

बाबा नीब करौरी की इच्छा से बना था मंदिर

इसके बाद इंजीनियर एसबी जोशी ने बाबा नीब करौरी से उनकी इच्छा पूछी तो बाबा ने कहा कि वो यहां पर एक भव्य हनुमान मंदिर बनाना चाहते हैं इस पर शासन के आदेश पर यहां पर भव्य हनुमान मंदिर आकार लेने लगा जो आज हमें हनुमान सेतु के रूप में नजर आता है।

बाबा नीब करौरी ने ही 26 जनवरी 1967 में हनुमान जी की भव्य मूर्ति की यहां स्थापना करवाई थी। यहां पर आज भी पुराने मंदिर में बाबा नीब करौरी का कक्ष मौजूद है जहां पर सुबह छह और शाम को आठ बजे आरती होती है।

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